तेल आयात पर रुपए में भुगतान लेने को कोई नहीं तैयारः संसदीय रिपोर्ट

punjabkesari.in Sunday, Dec 24, 2023 - 05:46 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल के आयात पर रुपए में भुगतान करने की भारत की पहल को अब तक खास कामयाबी नहीं मिल पाई है। तेल मंत्रालय ने संसद की एक स्थायी समिति को यह जानकारी देते हुए कहा है कि आपूर्तिकर्ताओं ने धन के प्रत्यावर्तन और लेनदेन की ऊंची लागत को लेकर चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार परंपरा के तहत कच्चे तेल के आयात के सभी अनुबंधों के भुगतान की प्रचलित मुद्रा अमेरिकी डॉलर है। 

हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए 11 जुलाई, 2022 को आयातकों और निर्यातकों को रुपए में लेनदेन करने की अनुमति दी थी। इस पहल के तहत कुछ चुनिंदा देशों के साथ गैर-तेल व्यापार में कुछ सफलता मिली है लेकिन तेल निर्यातकों की रुपए से दूरी जारी है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने विभाग से संबंधित संसदीय समिति को बताया है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सार्वजनिक पेट्रोलियम कंपनियों ने कच्चे तेल के आयात के लिए कोई भी भुगतान भारतीय रुपए में नहीं किया। 

कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले देशों ने धन को पसंदीदा मुद्रा में बदलने, इससे जुड़ी उच्च लेनदेन लागत और विनिमय दर के जोखिमों पर अपनी चिंता जताई है। पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई समिति की रिपोर्ट में मंत्रालय के इस पक्ष का उल्लेख है। इसके मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने कहा है कि उसे उच्च लेनदेन लागत का सामना करना पड़ा है, क्योंकि कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ता अतिरिक्त लेनदेन लागत का भार आईओसी पर डालते हैं। मंत्रालय ने कहा, ''कच्चे तेल के लिए भुगतान भारतीय रुपए में किया जा सकता है, बशर्ते आपूर्तिकर्ता इस संबंध में नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करें।'' 

मंत्रालय ने कहा है कि इस समय रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए भारतीय मुद्रा में खरीदारी करने के लिए कोई भी समझौता नहीं किया है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और अपनी अधिकांश जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। मंत्रालय ने समिति को बताया, ''भारत की खपत लगभग 55-56 लाख बैरल प्रति दिन है। इसमें से हम प्रति दिन लगभग 46 लाख बैरल तेल का आयात करते हैं, जो दुनिया में कुल तेल व्यापार का लगभग 10 प्रतिशत है।'' 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News