80 वस्तुओं पर नहीं लग सकता जीएसटी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2016 - 03:53 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे से करीब 80 वस्तुएं बाहर हो सकती हैं, जिन पर कोई कर नहीं लगेगा। इन वस्तुओं में खाद्यान्न, कच्चा नारियल, पोहा, अप्रसंस्कृत चाय की हरी पत्तियां, गैर-मिनरल पानी आदि शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ वर्तमान में उत्पाद शुल्क के दायरे से बाहर कॉफी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे- बिस्कुट, रस्क, मक्खन और चीज को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है। फिलहाल करीब 300 वस्तुएं केंद्रीय उत्पाद शुल्क छूट की सूची में शामिल हैं और 90 पर राज्यों में मूल्यवर्धित कर नहीं लगता है।

लक्जरी समान पर लगाया जा सकता है 28 फीसदी सैस
राजस्व सचिव हसमुख अधिया की अध्यक्षता वाली अधिकारियों की एक समिति ने जीएसटी दरों के लिए वस्तुओं की सूची तैयार कर रही है। केंद्र और राज्यों ने जीएसटी के लिए पांच कर स्लैब - 5 से 28 फीसदी तक पहले ही सहमति जता चुके हैं।  इसके साथ ही लक्जरी उत्पादों पर 28 फीसदी के साथ ही सैस भी लगाया जा सकता है। उपकर मौजूदा समय में वस्तुओं पर वसूले जाने के अनुपात में ही हो सकता है। सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'हम छूट को कम से कम रखेंगे और अभी इस सूची को अंतिम रूप देने पर काम चल रहा है।'

ज्यादा खपत वाले उत्पादों पर टैक्स छूट जारी रहेगी
राज्य अप्रसंस्कृत वस्तुओं और ऐसे उत्पादों को कर छूट देती हैं, जिसकी खपत गरीबों द्वारा की जाती है। ऐसी वस्तुओं में फल, सब्जियां, नमक, खाद्यान्न आदि शामिल हैं। केंद्र प्रसंंस्कृत खाद्य पदार्थों और दवाओं को उत्पाद शुल्क से बाहर रखती है। केंद्र और राज्यों द्वारा समान कर छूट सूची में ब्रेड, अंडे, दूध, सब्जियां, अनाज, किताबें और नमक शामिल हैं। इन पर आगे भी कर छूट जारी रह सकती है।

ज्यादा सेवाएं जीएसटी के दायरे में ही रहेंगी
सेवाओं की नकारात्मक सूची, जिसे कर से छूट दी जाती है, उसे कम करने की कोशिश होगी और इसे जरूरी सेवाओं जैसे- स्वास्थ्य एवं शिक्षा तक सीमित किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा, 'जीएसटी के दायरे से बाहर काफी कम सेवाएं ही रह सकती हैं।' फिलहाल नकारात्मक सूची में 18 सेवाएं शामिल हैं, जिनमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन एजेंसी और गैर-वातानुकूलित रेस्टोरेंट आदि हैं।

भारतीय कर प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना होगा
रिपोर्ट में कहा गया है, 'जीएसटी से ऐतिहासिक अवसर मिला है, ऐसे में भारतीय कर प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना चाहिए और 'छूट राज' को प्रभावी तरीके से खत्म करना चाहिए।' सरकार कुछ समय से कर छूट की सूची को छोटा कर रही है। 2011 में इसमें 542 वस्तुएं शामिल थीं, जो अब घटकर 300 रह गई हैं। जीएसटी परिषद जब तक पैट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी दरों के तहत लाने का निर्णय नहीं करती है तब तक उस पर शून्य कर लग सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्य इस पर मूल्य वर्धित कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाता रहेगा।

 


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