निर्मला सीतारमण ने LTCG टैक्स में संशोधन को बताया सही, कहा- रियल एस्टेट पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं
punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2024 - 11:28 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान कहा कि प्रस्तावित संशोधन से रियल एस्टेट संपत्तियों की बिक्री पर दीर्घावधि पूंजी लाभ कर (LTCG) के मामले में कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं पड़ेगा।
सीतारमण ने कहा, ‘हर बार जब हम बजट पेश करते हैं… मैं देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर कर पेशेवरों, उद्योग, व्यापारियों और सभी हितधारकों से मुलाकात करती हूं और उनके विचार जानती हूं। इसके बाद ही संशोधन का प्रस्ताव करती हूं ताकि बजट आम लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर सके।’
वित्त मंत्री ने कहा कि 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई संपत्ति के लिए करदाता बगैर इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी एलटीसीजी दर या इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी कर की दर का विकल्प चुन सकते हैं। बजट पेश करने के तुरंत बाद इतने सारे संशोधन प्रस्तावित करने के बारे में उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि हमने उन लोगों को सुना है जो कुछ बदलाव चाहते हैं और हमारे पास इसे बदलने का साहस और विश्वास है।’
23 जुलाई को पेश बजट में संपत्ति की बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ हटा लिया गया था और 12.5 फीसदी की दर से एलटीसीजी कर का प्रस्ताव किया था। इससे रियल एस्टेट सौदों को लेकर चिंता बढ़ गई थी। अपने इस प्रस्ताव का बचाव करते हुए सीतारमण ने कहा था कि एलटीसीजी व्यवस्था को सरल बनाने के लिए इंडेक्सेशन हटाया गया था न कि राजस्व अर्जित करने के उद्देश्य से। कराधान पर प्रस्तावित घोषणा के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि करों में भारी वृद्धि किए बिना, हम एक सरल कराधान व्यवस्था लाए हैं और अनुपालन को आसान बनाया है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार देश में सरल, कुशल और निष्पक्ष तकनीक आधारित कराधान व्यवस्था कायम करने का है। इसलिए पिछले 10 वर्षों में इसे करदाताओं के लिए सरल और अनुपालन को आसान बनाना हमारा मुख्य उद्देश्य रहा है। और इस साल मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कराधान का दृष्टिकोण इसे सरल बनाने, करदाता पर बोझ कम करने और यह सुनिश्चित करने का रहा है कि यह पारदर्शी और एकसामन हो।’
प्रत्यक्ष कर पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2023 में 15 लाख रुपए की सालाना आय पर प्रभावी कर घटाकर 10 फीसदी किया गया था और इस साल नई आयकर व्यवस्था के तहत इसे और कम किया गया है। 31 दिसंबर, 2023 तक करीब 3.8 फीसदी करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को अपनाया था मगर जुलाई 2024 तक नई व्यवस्था को अपनाने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल आई है।