नए कर के दौर में महंगा पड़ सकता है मकान खरीदना!

Tuesday, May 23, 2017 - 02:18 PM (IST)

नई दिल्लीः नए कर के दौर में मकान के खरीदारों की कुल लागत 1 से 3 प्रतिशत बढऩे की संभावना है। वर्क कॉन्ट्रैक्ट पर 12 प्रतिशत कर लगाकर रियल एस्टेट क्षेत्र आंशिक रूप वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे में लाया गया है, जिसमें स्टांप शुल्क शामिल नहीं है। जोन्स लैंग लसॉल रेजिडेंशियल (जे.एल.एल.आर.) के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि मौजूदा सेवा कर के दौर में घटाव नियमों के साथ, निर्माणाधीन संपत्तियों पर सेवा कर 4.5 प्रतिशत है। इसके ऊपर विभिन्न राज्य 3.5 से 4.5 प्रतिशत तक मूल्यवर्धित कर (वैट) लगाते हैं। इस तरह से कुल मिलाकर किसी भी राज्य में कर 9.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता है।

उपभोक्ताओं को करना होगा 3 तरह के कर का भुगतान
इस समय आवासीय संपत्तियों पर रियल एस्टेट कराधान कुछ इस तरह काम करता है। सेवा कर की दर जहां 15 प्रतिशत (14.5 प्रतिशत सेवा कर और 0.5 प्रतिशत किसान कल्याण उपकर) है, डेवलपरों को जमीन व अन्य सेवाओं पर घटाव मिलता है। इससे प्रभावी कर दर 4.5 प्रतिशत रह जाती है, इसके साथ अलग अलग राज्यों में वैट दर 3 से 5 प्रतिशत है। औसतन वैट 4.5 प्रतिशत पड़ता है। कुल मलिाकर उपभोक्ताओं को सेवा कर, वैट और स्टांप शुल्क (विभिन्न राज्यों में अलग अलग दर पर) का भुगतान करना होता है। जी.एस.टी. के तहत 12 प्रतिशत कर के साथ स्टांप शुल्क का भुगतान करना होगा।

ग्राहकोंं पर डालेंगे एेसे पडे़गा बोझ
दूसरे शब्दों में कहें तो अगर 1 करोड़ रुपए  की संपत्ति है तो खरीदार को स्टांप शुल्क के अलावा 8 से 9 लाख रुपए कर भुगतान करना होता है, जो अब अधिकतम 12 लाख रुपए हो जाएगा। पुरी ने कहा कि अगर डेवलपर जी.एस.टी. के तहत ज्यादा कर का भुगतान करते हैं तो वह इसका बोझ ग्राहकोंं पर डालेंगे। हालांकि अब डेवलपर इनपुट क्रेडिट के तहत मिलने वाले लाभ को ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं, जो पहले नहीं था। ईवाई के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि पहले बिल्डर सीमेंट, स्टील, फिटिंग आदि पर पर उत्पाद शुल्क का भुगतान करते थे, लेकिन उन्हें इस पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता था। अब उन्हें यह क्रेडिट मिलेगा। सामान्यता यह लागत संपत्ति के मूल्य का 1 से 2 प्रतिशत होती है। 

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