नया खनन उपकर लागू होने से इस्पात विनिर्माताओं पर लागत का दबाव बढेगा: इक्रा

punjabkesari.in Monday, Aug 26, 2024 - 04:51 PM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कुछ राज्यों द्वारा नए खनन उपकर को लागू करने और लागत दबाव बढ़ने से घरेलू इस्पात उद्योग के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह बात कही है। उच्चतम न्यायालय ने खनिज अधिकारों तथा खनिज-युक्त भूमि पर कर लगाने की राज्यों के अधिकार को 14 अगस्त को बरकरार रखा था। साथ ही उन्हें एक अप्रैल, 2005 से रॉयल्टी की वापसी की मांग करने की अनुमति दी थी। 

इक्रा ने एक बयान में कहा, इस कदम से पूरे क्षेत्र में परिचालन मुनाफा कम होगा जिससे प्राथमिक तथा माध्यमिक इस्पात उत्पादक दोनों प्रभावित होंगे। विभिन्न परिदृश्य में उपकर दरें 5-15 प्रतिशत के बीच हो सकती हैं, जिससे प्राथमिक इस्पात उत्पादकों का मुनाफा 0.6-1.8 प्रतिशत तक कम हो सकता है। द्वितीयक उत्पादकों को अधिक गंभीर प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है और उनके मुनाफे में 0.5 से -2.5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। 

बिजली क्षेत्र (जो कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है) आपूर्ति की लागत में 0.6-1.5 प्रतिशत की वृद्धि देख सकता है, जिससे संभावित रूप से खुदरा शुल्क में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादक भी अपनी उच्च बिजली खपत के कारण प्रभावित होंगे। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा समूह प्रमुख (कॉरपोरेट क्षेत्र रेटिंग्स) गिरीशकुमार कदम ने कहा, ‘‘प्रमुख खनिज समृद्ध राज्यों द्वारा नए खनन उपकर को लागू करने से इस्पात उद्योग के लिए लागत दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, अधिकतर राज्यों ने अभी तक दरें निर्धारित नहीं की हैं लेकिन लागू किए गए किसी भी बड़े उपकर से मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है...खासकर द्वितीयक इस्पात उत्पादकों के लिए, क्योंकि व्यापारी खनिकों को बढ़ी हुई लागत का भार वहन करना पड़ सकता है।'' 

इक्रा के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले ने ओडिशा ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक विकास अधिनियम, 2004 (ओआरआईएसईडी) पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया है, जो लौह अयस्क तथा कोयले पर 15 प्रतिशत उपकर की अनुमति देता है। यदि इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इसके परिणामस्वरूप लौह अयस्क की भूमि लागत में 11 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जिसका सीधा असर घरेलू इस्पात इकाई की लागत क्षमता पर पड़ेगा। वहीं झारखंड सरकार ने हाल ही में लौह अयस्क तथा कोयले पर 100 रुपए प्रति टन की बढ़ोतरी की है। इस कदम का अन्य राज्य भी अनुसरण कर सकते हैं। इस वृद्धि से इस्पात इकाइयों के परिचालन मुनाफे पर न्यूनतम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे उनमें 0.3 से 0.4 प्रतिशत की कमी आएगी। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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