दर्द देने लगी दवा की कीमत दाम तय करने का बनेगा नया फार्मूला!

Sunday, Feb 10, 2019 - 11:36 AM (IST)

नई दिल्लीः मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं के दाम तय करने के लिए नया फार्मूला बनाए जाने के संकेत हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा फार्मूले से दवाओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का मकसद भी नाकाम हो रहा है यानी कि लोगों को अब दवा की कीमतें भी दर्द देने लगी हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2013 से पहले दवा की लागत के हिसाब से उसका दाम तय किया जाता था। सूत्रों का कहना है कि सरकार एक बार फिर दवा की लागत के हिसाब से उसके दाम तय करने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं के दाम कम हो सकते हैं। दरअसल मौजूदा सिस्टम में दवाओं के दाम तय करने के लिए बनाए गए फार्मूले का इसे बनाए जाने के समय से ही विरोध हो रहा है। कई नागरिक संगठन और एन.जी.ओ. सरकार से लगातार इसे बदलने की मांग कर रहे हैं। दवाओं के दाम तय करने का मौजूदा सिस्टम 2013 के ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के जरिए वजूद में आया था। इसका मकसद आम जनता को वाजिब दाम पर जरूरी दवाएं मुहैया करवाना था।

इस फार्मूले के मुताबिक मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली किसी भी कम्पनी की दवा की बाजार में एक प्रतिशत हिस्सेदारी जरूरी है। ऐसी दवा को बनाने वाली हर कम्पनी की दवा के दामों का औसत निकाला जाता है और फिर उसके हिसाब से कीमत तय की जाती है। हर साल इसमें 10 प्रतिशत की बढ़ौतरी की जा सकती है। इससे दवाओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। 

प्रधानमंत्री व उपराष्ट्रपति से शिकायत
दवा की कीमतों पर नियंत्रण नहीं होने और विक्रेताओं की इस मनमानी को लेकर निजामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने शिकायती पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू तक भेजा है। उसका दावा है कि खुदरा विक्रेता 30 गुना तक मुनाफा वसूल रहे हैं। संगठन ने इस पर नीति बनाने की मांग की है ताकि आम नागरिकों से होने वाली लूट को रोका जा सके। पत्र के साथ चैंबर ने 1097 दवाओं की सूची पी.एम.ओ. को भेजी है जिन्हें 100 से लेकर 2100 प्रतिशत से अधिक दामों में बेचा जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि देशभर में दवाओं की अधिकतम कीमत तय कर दी जाए तो चिकित्सा खर्च में 85 से 90 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

jyoti choudhary

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