विकास कार्यों के लिए कर दायरा बढ़ाना जरूरी, लोगों को समझनी होगी जिम्मेदारी: सीतारमण

Saturday, Jul 06, 2019 - 06:24 PM (IST)

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर सीमा शुल्क बढ़ाने, अमीरों पर कर अधिभार बढ़ाने और पेट्रोल-डीजल पर शुल्क बढ़ाने का बचाव करते हुए शनिवार को कहा कि देश के आर्थिक विकास और आम आदमी के लिए बुनियादी सुविधाएं खड़ी करने करने के लिए संसाधन जुटाना जरूरी है। वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करने के एक दिन बाद सीतारमण ने कहा कि विदेशों से सोने का आयात करने, पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में अहम विदेशी मुद्रा खर्च होती है। 

दूसरी तरफ देश में राजमार्गों, हवाईअड्डों, रेल परियोजनाओं, अस्पतालों और सार्वजनिक परिवहन पर बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। यही नहीं माल एवं सेवाकर (जीएसटी) में भी सरकार ने कई वस्तुओं पर कर की दर घटाकर करोड़ों रुपए के राजस्व लाभ उपभोक्ताओं को दिया है। सीतारमण से जब दो करोड़ रुपए, पांच करोड़ रुपए की कमाई करने वालों पर ऊंची दर से अधिभार लगाए जाने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आम जनता के लिए खड़ी की जानी वाली ढांचागत सुविधाओं के लिये संसाधन जुटाने की आवश्यकता है। ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है। कर आधार बढ़ाने की जरूरत है। सरकार आपको सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, छोटा सा हिस्सा आप से ले रही है।'' 

उल्लेखानीय है कि बजट में 2 से 5 करोड़ रुपए के बीच सालाना कमाई करने वालों पर 25 प्रतिशत की दर से तथा 5 करोड़ रुपए से अधिक कमाई करने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार लगाया गया है। सोने पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया गया है। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि आभूषण निर्माता यदि आभूषण निर्यात के लिए कच्चे माल के तौर पर सोने का आयात करते हैं तो उसपर सीमा शुल्क नहीं लगता है। ‘‘निर्यात के लिए किए जाने वाले आयात पर शुल्क नहीं लगता है लेकिन यदि आप घरेलू खपत के लिए सोने का आयात करते हैं तो देश को भी आप कर के रूप में थोड़ा दे सकते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर भी काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है इस पर नियंत्रण करना होगा।'' उन्होंने कहा कि देश की खानों में इतना सोना नहीं निकलता है जितना देश में सोने की मांग है। 

भारत में सोने को रखना शुभ माना जाता है लेकिन इसके आयात में कीमती विदेशी मुद्रा खर्च होती है, इसलिए कर के रूप में आप देश को भी थोड़ा दे सकते हैं। सड़क, हवाईअड्डा, सौर ऊर्जा तमाम सुविधाएं सरकार खड़ी कर रही है। सार्वजनिक परिवहन में बड़ी मात्रा में खर्च हो रहा है। तमाम शहरों में मेट्रो रेल की सुविधा बन रही है। यह सब कैसे संभव होगा। जीएसटी में जरूरी वस्तुओं को दर में कमी लाकर सरकार ने एक साल के भीतर ही 94,000 करोड़ रुपए का राजस्व छोड़ा है और उसका लाभ उपभोक्ता को दिया। इसलिए अमीरों से एक छोटा हिस्सा सरकार ने लिया है और सभी को इसमें योगदान करना चाहिए। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम होने के बावजूद उन पर सरकार का नियंत्रण बना रहेगा। 

jyoti choudhary

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