सम्पत्ति लेन-देन में कानूनी पड़ताल आवश्यक

Saturday, Feb 11, 2017 - 01:27 PM (IST)

नई दिल्लीः हालांकि, भारत में किसी भी सम्पत्ति को खरीदना और उसके संबंध में दस्तावेजों की जांच करना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें काफी समय भी लगता है। इसकी वजह है कि हमारे यहां सम्पत्ति से जुड़े मामलों में कई विभागों और निकायों से जानकारी जुटानी पड़ सकती है। इसके अलावा हर राज्य के सम्पत्ति संबंधी कानून भी अलग-अलग होते हैं। 

फिर भी सम्पत्ति से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं तथा दस्तावेजों के बारे में ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह की जांच का एक लाभ यह भी है कि आपको यह भी पता चल जाएगा कि आप जो सम्पत्ति खरीदने जा रहे हैं, उस पर किसी तरह का कोई बकाया है या नहीं या उस पर किसी तरह का कर देने वाला तो नहीं रहता है। यदि आप पहले से इसके बारे में पता नहीं करेंगे तो नतीजा यही होगा कि सम्पत्ति खरीदने के बाद इस तरह के बकाए का भार आपके ऊपर पड़ जाएगा।

किसी भी सम्पत्ति से जुड़े कानूनी मसलों तथा कागजात की जांच के लिए दो मुख्य तरीके हैं-

1,  ‘फुल सर्च’ और 
2. ‘लिमिटेड सर्च’। 

इन दोनों ही तरीकों में सम्पत्ति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच पूरी की जाती है। इसके तहत सम्पत्ति के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज, उस पर किसी तरह के लोन या बकाए, किसी तरह की प्रशासनिक पाबंदी, उससे जुड़े किसी भी अदालती मामले या विवाद आदि के बारे में पता किया जा सकता है।

दोनों ही तरीकों में अंतर केवल इसमें ध्यान में रखी जाने वाली अवधि का होता है। ‘फुल सर्च’ के दौरान जहां सम्पत्ति के 30 से 99 वर्षों के रिकॉर्ड्स की जांच की जाती है वहीं इसके विपरीत ‘लिमिटेड सर्च’ में केवल 15 वर्षों के रिकार्ड्स को ही खंगाला जाता है। खास बात है कि कानूनी जांच-पड़ताल के दौरान वर्तमान तथा पूर्व स्वामियों से जुड़े दस्तावेजों की जांच, सम्पत्ति पर किसी भी प्रकार के बकाए या शुल्क के बारे में पता करने के बाद व्यक्ति निश्चिंत हो जाता है। 

आवश्यक है स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों की पड़ताल
1. यदि सम्पत्ति का स्वामित्व विक्रय या खरीद से प्राप्त किया गया है तो उसकी खरीद  से जुड़ी सभी पूर्व रजिस्टर्ड सेल डीड तथा दस्तावेजों का निरीक्षण किया जाएगा।
2. सम्पत्ति का स्वामित्व एक उपहार स्वरूप मिला है तो रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड या अन्य संबंधित दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
3. यदि सम्पत्ति का स्वामित्व किसी वसीयत द्वारा या उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त किया गया है तो इससे जुड़े दस्तावेजों की जांच करनी होगी और यह भी गौर करना होगा कि वे किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं।
4. यदि सम्पत्ति लीज के तहत प्राप्त की गई है तो लीज डीड तथा इससे जुड़े पक्षों के अधिकारों के बारे में जांच करनी होगी।

Advertising