सिलेंडर विस्फोट में मृतक के परिजनों को 12 लाख रुपए का मुआवजा देने का NCDRC का निर्देश
Tuesday, Jun 04, 2019 - 06:41 PM (IST)
नई दिल्लीः शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. (आईओसीएल) तथा उसके डीलर को सिलेंडर विस्फोट में मारी गई महिला के परिजनों को 12 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा कि यह दुर्घटना विनिर्माण की खामी की वजह से हुई।
कंपनी और डीलर जिम्मेदार: NCRDC
एनसीडीआरसी ने इस दुर्घटना के लिए आईओसीएल तथा आलोक गैस एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया है। इस हादसे में गृहणी नीना झांब की मृत्यु हो गई थी जबकि उनकी सास गंभीर रूप से घायल हुई थीं। आयोग ने कहा कि इस खामी की जांच करने की जिम्मेदारी आईओसीएल की है क्योंकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि उपभोक्ता की ओर से कोई लापरवाही बरती गई।
मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ड के कारण हुआ विस्फोट: NCRDC
आयोग ने अपने हालिया आदेश में कहा कि विनिर्माता होने की वजह से जिम्मेदारी आईओसीएल की बनती है कि वह जांच करे और खामी के बारे में रिपोर्ट दे। ऐसा नहीं किया गया। ऐसे में आईओसीएल की यह दलील कि मैन्युफैक्चरिंग डिफॉल्ट की कोई रिपोर्ट नहीं है, को स्वीकार नहीं किया जा सकता। एनसीडीआरसी के अध्यक्ष आर के अग्रवाल तथा सदस्य एम श्रीश ने कहा कि इस मामले का दायित्व आईओसीएल और डीलर दोनों का बनता है। रिकॉर्ड पर जो दस्तावेज हैं उनके मुताबिक सिलेंडर में विस्फोट मैन्युफैक्चरिंग डिफॉल्ट की वजह से हुआ। इसकी मुख्य जिम्मेदारी आईओसीएल की है।
IOCL, एजेंसी और बीमा कंपनी को झटका
एनसीडीआरसी ने यह आदेश आईओसीएल, गैस एजेंसी तथा बीमा कंपनी की अपील पर दिया है। इन्होंने मृतक के परिजनों को 12 लाख 21 हजार 734 रुपये ब्याज के साथ देने के दिल्ली राज्य उपभोक्ता मंच के आदेश को चुनौती दी थी। आयोग ने अपील को खारिज करते हुए आईओसीएल को केस की लागत का 25 हजार रुपये देने का भी निर्देश दिया है। आईओसीएल के खिलाफ यह शिकायत मृतका के पति और बच्चों ने दायर की थी। शिकायत में कहा गया था कि तीन अप्रैल 2003 को नीना जब रसोई में खाना बना रही थीं तो सिलेंडर फटने से उनकी मृत्यु हो गई। इस हादसे मे नीना की सास कान्ता घायल हो गईं।