''खाद्यान्न उत्पादन में मददगार नहीं प्राकृतिक खेती, संतुलित रुख की जरूरत''

Sunday, Jul 15, 2018 - 01:41 PM (IST)

नई दिल्लीः 'शून्य बजट' वाली प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) से कृषि लागत उल्लेखनीय रुप से घटाई जा सकती है क्योंकि इसमें किसानों को रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। पर क्या यह तकनीक देश की अनाज की बढती जरूरत को पूरा करने के लिहाज से कारगर होगी, इस सवाल को लेकर संशय है।

बेंगलुरू स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एवं इकोनामिक चेंज’ (आईएसईसी) प्रोफेसर और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार ने कहा कि आंख मूंदकर कृषि की परंपरागत तकनीक को अपनाना खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से जोखिम भरा हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शून्य बजट वाली प्राकृतिक खेती की वकालत करते हुए कहा था कि इससे किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने में मदद मिलेगी। जेडबीएनएफ के तहत न तो रसायनिक उर्वरक और न ही कीटनाशकों का उपयोग होता है। इसकी जगह किसान गाय का गोबर, गो-मूत्र, पौधे, मानवीय अपशिष्ट और केंचुए जैसे जैविक खाद्य कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। साथ ही इस खेती में केवल किसानों द्वारा तैयार बीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है।

आईएसईसी प्रोफेसर कुमार ने कहा, ‘‘कृषि की इस तकनीक में बाजार से बीज, खाद जैसे कच्चे माल नहीं खरीदे जाते और जो भी उपज होती, वह किसानों की शुद्ध कमाई होती है। चूंकि इसमें प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है, अत: यह तकनीक मृदा की उर्वरता को बनाए रखने तथा फसलों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती से लडऩे में सहायक है।’’

jyoti choudhary

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