Jet Airways के नरेश गोयल का फर्श से अर्श और फिर फर्श तक का सफर
punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2023 - 01:56 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः मई, 2019 में एक नाटकीय घटनाक्रम में दुबई जाने वाले ऐमिरेट्स एयरलाइन के एक विमान को मुंबई में उड़ान भरने से पहले रोकने को कहा गया था। पायलट को इसका कारण नहीं बताया गया था और विमान को तुरंत पार्किंग बे में लौटने का आदेश दिया गया। चूंकि विमान टर्मिनल पर लौट आया और इसमें फर्स्ट क्लास श्रेणी से दो यात्रियों- नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता को आव्रजन अधिकारियों द्वारा यह कहते हुए नीचे उतारा गया कि वे देश छोड़कर नहीं जा सकते।
जेट एयरवेज के संस्थापक गोयल इस घटनाक्रम से स्तब्ध रह गए थे। यही वही व्यक्ति था, जिसने करीब ढाई दशकों तक एयरलाइन क्षेत्र में दबदबा बनाए रखा और यह सोचा भी नहीं था कि एक वक्त ऐसा भी आएगा जब जांचकर्मी स्वयं उन्हें ही विमान से नीचे उतारेंगे। इस घटनाक्रम से एक महीने पहले ही एयरलाइन ने अप्रैल 2019 में अपना परिचालन बंद कर दिया था और उस पर भारतीय बैंकों का 8,500 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया था। एयरलाइन पर उन यात्रियों का भी करीब 3,500 करोड़ रुपए बकाया था, जिन्होंने अग्रिम तौर पर अपने टिकट बुक कराए थे।
मोदी सरकार बैंक डिफॉल्टरों के खिलाफ चेतावनी जारी कर रही थी और यही वजह थी कि उन्हें देश छोड़ने की अनुमति नहीं थी। बैंक अधिकारियों को डिफॉल्टरों के खिलाफ तलाशी नोटिस जारी करने का अधिकार दिया गया था। विमान से उतारे जाने की घटना काफी आश्चर्यजनक थी, क्योंकि अब 74 वर्ष के हो चुके गोयल ने करीब ढाई दशकों तक अपनी विश्वस्तरीय एयरलाइन जेट एयरवेज के साथ भारतीय आकाश में दबदबा बनाए रखा।
अपने चाचा की ट्रैवल एजेंसी में कैशियर के तौर पर अपनी पारी शुरू करने वाले गोयल ने 1993 में एयरलाइन शुरू करने से पहले विभिन्न एयरलाइनों के लिए टिकट और कारगो बुकिंग का काम किया। विमानन उद्योग में गोयल के शुरुआती करियर ने उन्हें एयरलाइन जगत के साथ मजबूत संबंध बनाने का मौका दिया और इससे उन्हें वैश्विक एयरलाइन संस्था ‘इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (आईएटीए) की सालाना आम बैठकों में नियमित भागीदारी करने का मौका मिला। इस संस्था से करीब 300 सदस्य जुड़े हुए थे।
एयरलाइन शानदार सेवा के साथ अपनी खास पहचान बनाने में सफल रही और उसका सभी राजनीतिक दलों, बॉलीवुड कलाकारों से नाता रहा। एक बार बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान और गीतकार-कवि जावेद अख्तर भी एयरलाइन के निदेशक मंडल के सदस्य रहे थे। अपने मजबूत संबंधों की वजह से गोयल टाटा समूह को लंबे समय तक विमानन क्षेत्र से बाहर बनाए रखने में सफल रहे। कई सरकारें बदलने के बावजूद जेट एयरवेज 25 साल से ज्यादा समय तक अपना अस्तित्व बनाए रखने में कामयाब रही, जबकि उसकी प्रतिस्पर्धी एयरलाइन का वजूद समाप्त हो गया।
लेकिन 2006 में जेट द्वारा एयर सहारा का अधिग्रहण उसके लिए मुसीबत साबित हुआ। एयर सहारा अधिग्रहण ऊंची लागत के संबंध में सहयोगियों द्वारा सवाल उठाए जाने के बावजूद पूरा हुआ। एयरलाइन का नाम एयर सहारा से बदलकर जेटलाइट किया गया। 2015 में, जेट एयरवेज ने जेटलाइट में अपना 1,800 करोड़ रुपए का पूरा निवेश बट्टेखाते में डाल दिया। बाद में जेट ने वाणिज्यिक भागीदारी बढ़ाने के लिए एयर फ्रांस-केएलएम के साथ भागीदारी की लेकिन इन प्रयासों से एयरलाइन को ज्यादा मदद नहीं मिली और उस पर कर्ज बढ़ता गया।
जेट एयरवेज ने अपनी आखिरी उड़ान अप्रैल 2019 में भरी। गोल पर प्रवर्तन निदेशालय ने एयरलाइन के कोष की हेरफेर करने का आरोप लगाया है और वे मौजूदा समय में जांच एजेंसियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। एयरलाइन बंद होने के बाद, उसके ऋणदाताओं ने विमानन कंपनी को एक नॉन-डिस्क्रिप्ट कंसोर्टियम को नीलाम कर दिया, जो अभी तक पूरी राशि बैंकों को चुकाने में नाकाम रहा है। शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।