महंगाई का खेल: कहीं 117 तो कहीं 200 रुपए के पार बिक रहा सरसों का तेल

Tuesday, Jun 29, 2021 - 10:49 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोरोना की मार से परेशान आम आदमी की कमर महंगाई ने तोड़ दी है। पिछले एक साल में सरसों तेल से लेकर चावल-दाल-आटे और यहां तक कि चाय की महंगाई ने किचन का बजट बिगाड़ करके रख दिया है। अब महंगाई का खेल देखें कि नासिक में सरसों तेल 200 रुपए के पार बिक रहा है तो मुरादाबाद में पाम ऑयल 180 के ऊपर। मैसूर में वनस्पति 212 रुपए तो सोया तेल गंगटोक में 194 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं बीकानेर में सूरजमुखी का तेल 227 रुपए किलो पहुंच गया है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि उपभोक्ता मंत्रालय की वैबसाइट पर दिए गए आंकड़े बोल रहे हैं। ये आंकड़े 25 जून 2021 के हैं और ये देश में खाद्य तेलों की अधिकतम कीमतें हैं।

वैबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 25 जून 2020 के मुकाबले 25 जून 2021 को खाद्य तेलों की कीमतों में 53 फीसदी, दालों में 15 फीसदी और खुली चाय में 25 फीसदी तक उछाल आ चुका है। वहीं चावल के रेट में 4 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। अगर कोई चीज सस्ती हुई है तो गेहूं, चीनी, गुड़, आलू और टमाटर।

दालों ने भी तरेरी आंखें
अगर दालों की बात करें तो वे भी आंखें तरेर रही हैं। मंत्रालय की वैबसाइट पर दिए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अरहर यानी तूअर की दाल औसतन 93 रुपए किलो से करीब 107 रुपए, उड़द दाल 101 से 109 रुपए किलो हो गई है। वहीं मूंग की दाल में गिरावट आई है, जबकि मसूर और चना दाल 15 फीसदी तक महंगी हुई है।

प्याज के तीखे हो रहे तेवर
कभी आम जनता को महंगाई का आंसू रुलाने वाला प्याज फिर तीखे तेवर कर रहा है। एक साल में इसकी कीमत 33 फीसदी बढ़कर 21 से 28 रुपए पर पहुंच गई है। आलू और टमाटर ही अब राहत दे रहे हैं। यूं कहें कि आलू और टमाटर ही अब महंगाई के आंसू पोछ रहे हैं। इस एक साल में आलू का औसत खुदरा मूल्य 24 फीसदी गिरकर 28 से 21 पर आ गया है। वैबसाइट पर दिए गए रेट उच्चतम और न्यूनतम का औसत है। वास्तविक रूप से खुदरा बाजारों में रेट इससे अलग हो सकते हैं।

चाय, दूध और नमक के भी बढ़े भाव
पिछले साल के मुकाबले इस साल चाय की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। खुली चाय 25 फीसदी चढ़कर 221 से 277 रुपए किलो पहुंच गई है। चीनी जहां मामूली रूप से सस्ती हुई है। वहीं सबसे कम यूज होने वाले नमक के भाव भी इस एक साल में 10 फीसदी बढ़ चुका है। वहीं दूध भी 3 फीसदी महंगा हो चुका है। उपभोक्ता मंत्रालय पर दिए गए ये आंकड़े देशभर के 100 से ज्यादा केंद्रों से जुटाए गए हैं।

jyoti choudhary

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