मोदी सरकार अदालत के फैसले के बाद केयर्न को वसूली नोटिस भेजेगी

Monday, Apr 05, 2021 - 10:56 AM (IST)

नई दिल्लीः पेट्रोलियम मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद वेदांता की केयर्न ऑयल एंड गैस से करोड़ों डॉलर की मांग करेगा। कंपनी को इसका भुगतान राजस्थान तेल और गैस ब्लॉक लाइसेंस को प्रारंभिक अवधि से आगे बढ़ाने पर अधिक लाभ हिस्सेदारी के रूप में सरकार को करना था। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अंतरिम रूप से कंपनी का बाड़मेर बेसिन ब्लॉक लाइसेंस, जिसका 25 वर्षों का प्रारंभिक कार्यकाल 15 मई, 2020 को खत्म हो गया था, को आठवीं बार बढ़ाया गया था। 

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अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि अब जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार की नीति को बरकरार रखा है, तो हम 15 मई, 2020 से अधिक लाभ हिस्सेदारी के लिए वसूली की नोटिस जारी करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘सटीक राशि की गणना की जा रही है लेकिन यह लाखों डॉलर में होगी।'' कंपनी के प्रवक्ता ने संपर्क करने पर कहा, ‘‘हम अदालत के आदेश की समीक्षा कर रहे हैं। उसके बाद किसी अगली कार्रवाई का आकलन किया जाएगा।'' 

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले महीने के अंत में कहा था कि केंद्र सरकार राजस्थान में बाड़मेर ऑयल ब्लॉक से तेल निकालने के लिए वेदांता के साथ उत्पादन साझेदारी समझौते (पीएससी) को 10 साल बढ़ाने के लिए मुनाफे में 10 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा मांग सकती है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा था कि समझौते को आगे बढ़ाने के सरकार के अधिकार पर तब तक कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है, जब तक कि वे सार्वजनिक हित में हैं और अधिकतम राजस्व हासिल करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिए गए हैं। 

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पीठ ने कहा कि मुनाफे में 10 प्रतिशत अधिक हिस्सेदारी की मांग सरकार ने अनुबंध की प्रारंभिक तिथि से 25 साल बाद की है और ‘‘किसी भी तरह से इसे अनुचित या मनमाना नहीं कहा जा सकता।'' सरकार इस परियोजना का लाइसेंस वेदांता को पहले की शर्तों पर ही दस साल और देने के लिए अक्टूबर, 2018 में राजी हो गयी थी लेकिन साथ में उसने इस ब्लॉक के तेल और गैस में अपना हिस्सा दस प्रतिशत बढ़ाए जाने की शर्त लगायी थी।  

jyoti choudhary

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