ऑटो-रियल एस्टेट सैक्टर व निर्यात के लिए खुलेगा खजाना, उद्योगों को राहत पैकेज देगी मोदी सरकार

Wednesday, Aug 14, 2019 - 09:59 AM (IST)

नई दिल्ली: वैश्विक अर्थव्यवस्था के भारत पर होने वाले असर और देश में चल रहे खराब कंज्यूमर सैंटीमैंट से चिंतित पी.एम. मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण स्थिति को सुधारने के लिए जल्द राहत पैकेज देने की योजना पर काम कर रही है। सरकार किसी भी वक्त इसका ऐलान कर सकती है। इस राहत पैकेज में जी.एस.टी. की दरों में कमी के अलावा कुछ उद्योगों को करों में छूट सहित कई तरह के प्रस्ताव शामिल किए जा रहे हैं।

वित्त मंत्रालय के अफसर इस तरह का प्रस्ताव तैयार करने में जुटे हैं। प्रस्ताव के तहत रियल एस्टेट ऑटो और सर्विस सैक्टर के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा सकते हैं ताकि इन क्षेत्रों में सुस्त पड़ा कारोबारियों का उत्साह एक बार फिर जागे और उद्योगपतियों में इकोनॉमी को लेकर भरोसा कायम हो। जानकारों का मानना है कि सरकार आर्थिकता को गति देने के लिए आधारभूत ढांचे में निवेश बढ़ाने का फैसला करने के अलावा ऑटो सैक्टर में जी.एस.टी. की दरों में कटौती कर सकती है। सरकार को इन कदमों से मांग में तेजी आने का भरोसा है। इन कदमों के अलावा आयात-निर्यात को लेकर भी ऐलान किए जा सकते हैं और ईज ऑफ डुइंग बिजनैस को प्रोत्साहित करने के लिए अफसरशाही पर भी लगाम लगाई जा सकती है। हाल ही में रिजर्व बैंक ने देश की जी.डी.पी. के विकास को लेकर अपने अनुमान में भी कमी कर दी है।

GST काउंसिल की मीटिंग की तैयारी
जी.एस.टी. को लेकर सरकार की घोषणा के लिए काउंसिल की मीटिंग की तैयारी की जा रही है लेकिन यह बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पूरी स्थिति की समीक्षा और राहत के दायरे को तय किए जाने के बाद ही बुलाई जाएगी। इस बीच निर्मला सीतारमण लगातार उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करने के अलावा ऑटो सैक्टर, बैंकिंग, मोबाइल, एफ.पी.आई., एम.एस.एम.ई. और रियल एस्टेट से जुड़े उद्योगपतियों के साथ मुलाकात कर रही है। इन मुलाकातों के दौरान वित्त मंत्री ने सभी पक्षों की बात को ध्यान से सुना और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की है और उन्हें जल्द से जल्द समस्या से निजात दिलाने का वायदा भी किया है।

रैवन्यू गिरा, सरकार के पास सीमित विकल्प
पिछले कई महीने से मंदी में चल रहे ऑटो सैक्टर, रियल एस्टेट और इंडस्ट्री सैक्टर के चलते अर्थव्यवस्था में आई गिरावट को संभालने का प्रयास कर रही मोदी सरकार के पास आर्थिकता को गति देने के लिए सीमित विकल्प हैं। ऐसा पिछले कुछ महीनों से सरकार के राजस्व में आ रही कमी के चलते है। अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है जिसके चलते सरकार को जी.एस.टी. से होने वाला रैवेन्यू भी कम हो रहा है। लिहाजा सरकार के पास अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए खर्च करने के लिए बहुत ज्यादा पैसे नहीं होंगे। बाजार में मांग को सुधारने और लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कुछ समय पहले ही रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 35 बेसिस प्वाइंट की कमी की है लेकिन यह फिलहाल नाकाफी लग रहा है। इसी कारण उद्योग से जुड़े विभिन्न संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात करके आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए राहत पैकेज की मांग भी की है।

FRBM एक्ट से निकाला जाएगा रास्ता
हालांकि निर्धारित लक्ष्य से कम टैक्स कलैक्शन और वित्तीय घाटे को काबू रखने के लक्ष्य के चलते बजट के दौरान सरकार इंडस्ट्री के लिए किसी बड़े राहत पैकेज का ऐलान नहीं कर सकी लेकिन अब फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमैंट (एफ.आर.बी.एम.) एक्ट में से ही अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। सरकार अपनी घोषणा के लिए बजट में निर्धारित किए गए वित्तीय घाटे के लक्ष्य को 50 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ाने का जोखिम भी ले सकती है क्योंकि इस समय अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट है और निजी निवेशक निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे। लिहाजा सरकार को कोई बड़ा फैसला जल्द लेना पड़ेगा लेकिन यह फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर ही तय किया जाएगा।

एफ.आर.बी.एम. एक्ट को लेकर अध्ययन कर रहे एन.के. सिंह वाली अध्यक्षता के पैनल का मानना है कि सरकार कुछ स्थितियों में एफ.बी.आर.एम. एक्ट के तहत ज्यादा खर्चा कर सकती है। यह जी.डी.पी. का 0.5 फीसदी हो सकता है और यदि सरकार यह फैसला लेती है तो सरकार के लिए 1.15 ट्रिलियन रुपए खर्च करने का रास्ता साफ हो जाएगा। सरकार ने अगले 5 साल में आधारभूत ढांचे पर 100 ट्रिलियन रुपए खर्च किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है और पैकेज के तहत सरकार आधारभूत ढांचे पर ही बड़े स्तर पर खर्चा कर सकती है। इस पूरी प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय के अलावा उद्योग मंत्रालय और औद्योगिक संगठन भी जुड़े हुए हैं और सारे पक्षों का मानना है कि इस समय कंज्यूमर सैंटीमैंट काफी कमजोर है और इसे उठाया जाना जरूरी है। देश के ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की मांगों में भारी गिरावट देखी गई है, लिहाजा ऑटो सैक्टर पिछले एक दशक की सबसे बुरी स्थिति से गुजर रहा है और ऑटो कम्पनियों द्वारा उत्पादन ठप्प किए जाने के बाद लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है।

रैवेन्यू जैनरेटिंग सिस्टम में सुधार की चुनौती
आर्थिक जानकारों का मानना है कि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती रैवेन्यू जैनरेटिंग सिस्टम (कर प्रणाली प्रक्रिया) का डैमेज होना और इसे बड़े सुधार के बिना साइन नहीं किया जा सकता। इसे इसमें सुधार के लिए सबसे पहले जी.एस.टी. में सुधार होना जरूरी है। पिछले साल सरकार के जी.एस.टी. कलैक्शन में 22 फीसदी की कमी आई थी और हाल ही के जी.एस.टी. के आंकड़ों से लगता है कि इस वित्त वर्ष के दौरान भी सरकार का जी.एस.टी. रैवेन्यू लक्ष्य से कम ही रहेगा। जी.एस.टी. लागू होने के पहले साल में नए टैक्स से सरकार का रैवेन्यू (पैट्रोल व तम्बाकू निकालकर) 10 फीसदी गिरा था और इनडायरैक्ट टैक्स से सरकार के रैवेन्यू की ग्रोथ 2018 में 5.8 फीसदी रह गई जबकि 2017 में यह 21.3 फीसदी थी। इस बीच आर्थिक स्थिति बिगड़ने और जी.एस.टी. की दरों में की गई कमी का भी जी.एस.टी. कलैक्शन पर असर पड़ा है।

हमने सरकार को ब्याज दरों में कटौती के साथ-साथ ऑटो सैक्टर के लिए जी.एस.टी. में राहत देने की मांग की थी और साथ ही यह कहा था कि यह कदम जल्द से जल्द उठाए जाने की जरूरत है। हमे उम्मीद है कि सरकार जल्द ही राहत पैकेज को लेकर बड़ा ऐलान करेगी। - आनंद महिन्द्रा, चेयरमैन महिन्द्रा ग्रुप

वित्त मंत्री के साथ रियल एस्टेट से जुड़े लोगों की मुलाकात हुई है और इस मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई है और आने वाले दिनों में इस सैक्टर द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए ऐलान किए जाएंगे। -हरदीप पुरी, केंद्रीय मंत्री

Supreet Kaur

Advertising