बजट 2018: नए तरह के टैक्स लाएगी मोदी सरकार

Monday, Feb 05, 2018 - 02:45 PM (IST)

नई दिल्लीः देश के आयकर कानून में कई जटिलताएं हैं। यह जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति को जॉब से हो रही इनकम 'सैलरी' के दायरे में आती हो जिस पर टैक्स लगे। इस साल के बजट में इसे बदलने की कवायद की गई है। नॉन-कॉम्पीट पेमेंट्स 'वेतन' और 'वेतन के बदले में मुनाफा' के दायरे में नहीं आते हैं। जिस कारण इन पर टैक्स नहीं लगता। साथ ही भारत में विदेशी इंटरनेट कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की शुरुआत हो सकती है।

हर कोई आएगा टैक्स दायरे में
विशेषज्ञ के अनुसार, 'बजट में दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी को अपने एंप्लॉयर के बदले किसी और (थर्ड पार्टी) से पेमेंट मिलता है तो उसे भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। दूसरे शब्दों में समझें तो टैक्स के दायरे में ऐसे केस भी आएंगे जिनमें पेमेंट देने वाले और लेने वाले के बीच एंप्लॉयर-एंप्लॉयी का रिश्ता नहीं है। उदाहरण के लिए किसी विदेशी कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी से जॉब खत्म होने पर विदेशी कंपनी से मिलने वाले सेवेरेंस पेमेंट पर भी टैक्स लगेगा। कंपनियों के एक होने और अधिग्रहण की स्थिति में भी अधिग्रहण करने वाली कंपनी से प्राप्त आय भी टैक्स दायरे में आ जाएगी।'

क्या है नया कानून
फाइनैंस बिल के मेमोरेंडम के मुताबिक, 'कई पेमेंट्स के टैक्स के दायरे में न होने से राजस्व की हानि होती थी।' इसीलिए आयकर कानून के सेक्शन 56 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया गया है। एंप्लॉयमेंट के टर्मिनेशन पर कॉम्पेंसेशन या किसी अन्य पेमेंट को 'दूसरे स्रोतों से इनकम' माना जाएगा। ऐसी आय पर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा। बजट प्रस्तावों के मुताबिक, 1 करोड़ से ज्यादा की टैक्स योग्य आय पर अधिकतम 36 प्रतिशत टैक्स लग सकता है। इस संशोधन में एंप्लॉयर से पिंक स्लिप मिलने (नौकरी से हटाने) या वीआरएस के मामलों को नहीं रखा गया है। 

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