मोदी सरकार ने मानी चूक, नोटबंदी लागू करने से पहले इसके प्रभावों को लेकर नहीं किया था रिसर्च

Saturday, Dec 15, 2018 - 07:17 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को अचानक नोटबंदी की घोषणा कर दी थी। नोटबंदी को हुए 2 साल से ज्यादा वक्त हो गया है और आज भी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही हैं। सरकार ने नोटबंदी का फैसला लेने से पहले इसके प्रभावों पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं किया था। अब सरकार ने नोटबंदी को लेकर एक तरह से चूक मानी है। संसद में सरकार ने कहा है कि नोटबंदी को लेकर उन्होंने उसके प्रभावों पर कोई रिसर्च नहीं की थी।

संसद के शीतकालीन सत्र के लागू होने पर शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान एक सवाल में पूछा गया था कि क्या मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लेने से पहले इसके प्रभावों को लेकर कोई रिसर्च की थी? 

इसके जवाब में केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन ने ना बोला। वित्त राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के वक्त बाजार में 15,417.93 बिलियन 1000 और 500 के नोट चलन में थे। जिनमें से 15,310.73 बिलियन के प्रतिबंधित नोट वापस बैंकों में जमा हो गए।

बीते दिनों केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने भी संसद की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के सामने स्वीकार किया था कि नोटबंदी से किसानों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। मंत्रालय ने स्वीकारा था कि नोटबंदी के कारण किसानों के सामने बड़ी समस्या पैदा हो गई थी। फसल खरीदने से लेकर खाद खरीदने तक के लिए किसानों के पास नगद पैसे नहीं थे।

बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के तहत देश में 1000 और 500 के नोट एक झटके में चलन से बाहर हो गए थे। केंद्र सरकार का मानना था कि इस फैसले से कालेधन पर नकेल कसी जा सकेगी।
 

jyoti choudhary

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