Modi@3: देश की अर्थव्यवस्था को नोटबंदी से हुआ करोड़ों का फायदा

Thursday, May 25, 2017 - 02:38 PM (IST)

नई दिल्लीः मोदी सरकार को कल 26 मई को पूरे 3 साल हो जाएंगे। इन तीन सालों में मोदी के द्वारा किए गए कामों व उपलब्धियों का बखान किया जाएगा। 3 साल पूरे होने से ठीक एक दिन पहले मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के बारे में बताया गया है। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 व 1000 रुपए के नोटों को बैन कर दिया था, जिसकी जगह नए 2000 और 500 के नोटो को जारी किया गया था। रिपोर्ट की कॉपी में बताया गया है कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री के अचानक लिए इस फैसले के वक्त हमारी अर्थव्यवस्था में करीब 17.77 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट चलन में थे, वहीं मई, 2017 आते-आते उपयोग किए जा रहे बैंक नोटों का मूल्य करीब 19.25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

अप्रैल के अंत तक 14.2 लाख करोड़ रुपए थे चलन में 
हालांकि, यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस अप्रैल के अंत में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल 14.2 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इस वक्त अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूगी नोटबंदी न किए जाने की हालत के मुकाबले करीब 5 लाख करोड़ रुपए कम है। इससे यह भी पता चलता है कि लोगों के पास रखी नकदी की संख्या में भी कमी आई है, चूंकि इस तरह घर में पड़े पैसों का अर्थव्यवस्था के विकास में कोई योगदान नहीं होता, ऐसे में इसकी संख्या में कमी देश के फायदेमंद है।

डिजिटल लेनेदेन में भी हुआ इजाफा
रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के दूसरे फायदों में टैक्स आधार का बढ़ना, डिजिटल लेनेदेन में इजाफा, बैंक जमा में बढ़ोतरी और हाउसिंग सेक्टर में मजबूती भी शामिल है। बता दें कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों का चलन अचानक बंद किए जाने के फैसले के बाद नए नोटों की उस रफ्तार से पूर्ति नहीं होने के कारण देश की लाखों जनता को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। प्रधानमंत्री ने इस ऐलान के वक्त कहा था कि नोटबंदी का कदम कालेधन और जाली नोटों पर लगाम लगाने के साथ भारत को निशाना बनाने वाले आतंकियों की फंडिंग खत्म करने के लिए जरूरी कदम था। 

नोटबंदी की वजह से हुई बढ़ोतरी
अर्थव्यवस्था में इस वक्त 14.2 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में हैं, जो कि सारी ट्रांजैक्शन जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हैं, इसमें यह भी अनुमान लगाया गया है कि नोटबंदी की वजह से भारत का कुल निजी आयकर राजस्व भी अगले दो वर्षों में बढ़कर दोगुना हो जाएगा और इसके कुछ लाभ अभी से दिखने भी लगे हैं। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सेल्फ टैक्स असेसमेंट फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या में 23.8 फीसदी का उछाल देखा गया है। सरकार का मानना है कि इस 23.8 फीसदी में से कम से कम 10 फीसदी का बढ़ोतरी को नोटबंदी की वजह से ही देखने को मिली है।

 

मोबाइल वॉलेट के जरिए बढा लेन-देन 
पेटीएम, एस.बी.आई. बडी और फ्रीचार्ज आदि मोबाइल वॉलेट के जरिये अभी ही रोजाना करीब 200 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है। वहीं BHIM ऐप के लॉन्च होने के पांच महीनों के अंदर करीब दो करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड किया है. इस अध्ययन के मुताबिक, BHIM और UPI पेमेंट गेटवे के जरिये अभी ही करीब रोजाना 140 करोड़ रुपए का लेनदेन हो रहा है, वहीं डेबिट कार्ड का भी इस्तेमाल नोटबंदी के बाद से काफी बढ़ा है. वर्ष 2015-16 में जहां डेबिट कार्ड से करीब 117 करोड़ ट्रांजैक्शन हुआ, जो कि 1.58 लाख करोड़ मूल्य का था वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 240 करोड़ ट्रांजैक्शन हो गया, जिसका कुल मूल्य 3.3 लाख करोड़ रुपए था।

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