बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस नहीं, तो बैंक लगा सकते हैं जुर्माना

Wednesday, Mar 29, 2017 - 11:55 AM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि बैंक आकऊंट्स में मिनिमम बैलेंस नहीं रहने पर बैंक जुर्माना लगा सकते हैं लेकिन इस पर लगाई जाने वाली लेवी रीजनेबल होना चाहिए। सर्विस देने की एवरेज कॉस्ट के हिसाब से ही जुर्माना होना चाहिए। वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है। 

बैंकों को एक महीने पहले देनी होगी जानकारी
- गंगवार ने कहा कि रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के मुताबिक, मिनिमम बैलेंस की रकम में बदलाव की अकाऊंटहोल्डर्स को एक महीने पहले जानकारी देनी चाहिए। 
- यह भी बताएं कि खाते में तय रकम नहीं रखने पर कितनी पैनल्टी वसूली जाएगी। 
- देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एस.बी.आई. समेत देश के कई बैंक मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना वसूलने जा रहे हैं। एस.बी.आई. एक अप्रैल से ऐसे ग्राहकों से जुर्माना वसूलेगा। 
- मेट्रो सिटीज में एस.बी.आई. अकाऊंट होल्डर्स को मिनिमम 5,000 रुपए बैलेंस रखना होगा। वहीं, अर्बन एरियाज में यह लिमिट 3,000, सेमी-अर्बन एरियाज में 2,000 रुपए रहेगी।

महीने में 3 बार से अधिक लेनदेन पर लगेगा चार्ज
देश के सबसे बड़े बैंक ने महीने में 3 बार बचत खाताधारकों को बिना शुल्क के नकद धन जमा कराने की अनुमति दी है। इसके बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपए का शुल्क और सेवाकर ग्राहकों को देना होगा। चालू खातों के मामले में यह शुल्क अधिकतम 20,000 रुपए भी हो सकता है। एस.बी.आई. के संशोधित शुल्कों की सूची के अनुसार खातों में मासिक औसत बकाया (एमएबी) रखने में नाकाम रहने पर 100 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और इस पर सेवाकर भी देय होगा।

शहरी क्षेत्र के खाताधारकों के खाते में यदि न्यूनतम राशि 5,000 रुपए का 75 प्रतिशत होगी तो 100 रुपए का शुल्क और सेवाकर जुर्माना स्वरूप देना होगा। यदि यही बकाया न्यूनतम राशि के 50 प्रतिशत अथवा उससे भी कम है तो ऐसी स्थिति में बैंक 50 रुपए और सेवाकर वसूलेगा। मासिक औसत शेष यानी एमएबी शुल्क बैंक शाखा की जगह के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। ग्रामीण शाखाओं के मामले में यह न्यूनतम रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में बैंकों को अनुमति दे दी है।

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