नोटबंदी से गईं लाखों नौकरियां, लघु उद्योगों पर सबसे ज्यादा असर

Tuesday, Jan 10, 2017 - 12:59 PM (IST)

नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद के 2 महीनों में सिर्फ लघु व मझोले उद्योग के क्षेत्र में ही तकरीबन 15 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन (ए.आई.एम.ओ.) के एक अध्ययन के मुताबिक 8 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच लाखों लोगों की नौकरियां गई हैं। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन से 13,000 उद्योग-धंधे और तकरीबन 3 लाख सदस्य परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। यह सिर्फ  एम.एस.एम.ई. यानि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम आकार की कंपनियों और कारोबारियों का संगठन है। इसके ज्यादातर सदस्य महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं।

इतने लोगों को निकाला गया नौकरी से
ए.आई.एम.ओ. के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.ई. रघुनाथन ने कहा कि सबसे अधिक प्रभाव बुनियादी सेवाओं के क्षेत्र खास कर निर्माण के क्षेत्र में काम कर रही इकाइयों पर पड़ा। इस क्षेत्र में लगभग 3 से 4 लाख लोगों को नोटबंदी के बाद नौकरियों से निकाल दिया गया। रघुनाथन ने कहा कि उत्पादन क्षेत्र की मझोली इकाइयों में आप किसी को नौकरी से तुरंत नहीं निकाल देते हैं। आप कुछ दिन इंतजार करते हैं, स्थिति सुधारने की कोशिश करते हैं। इन इकाइयों पर बुरा असर भी तुरंत नहीं दिखता, कुछ दिन बाद यह असर दिखने लगता है। नोटबंदी के असर का अध्ययन करने के लिए ए.आई.एम.ओ. ने एक टीम गठित की।

सड़क निर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर
सड़क निर्माण से जुड़े उद्योगों में रोजगार में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, साथ ही इस उद्योग का मुनाफा भी 45 फीसदी कम हुआ। मार्च तक नौकरी और रोजगार में 40 फीसदी की गिरावट होने की आशंका है। निर्यात क्षेत्र में काम करने वाली मध्यम और बड़े स्तर की कंपनियों में 30 फीसदी लोगों की नौकरियां गईं, साथ ही मुनाफा भी 40 फीसदी कम हुआ। मार्च तक यह आंकड़ा 45 फीसदी तक पहुंच सकता है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र इससे सबसे कम प्रभावित हुआ। इस क्षेत्र में सिर्फ 5 फीसदी लोगों की नौकरियां गईं और मुनाफे में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। ए.आई.एम.ओ. ने अपने अध्ययन में बताया कि नकदी की दिक्कत, रकम निकासी की सीमा कम होना, रीयल एस्टेट सैक्टर का काम ठप्प पडऩा और जी.एस.टी. को लेकर अनिश्चितता ने इन उद्योगों को ज्यादा प्रभावित किया। मार्च तक यह स्थिति बरकरार रहने की उम्मीद है।

एच.एस.बी.सी., सिटी समूह का जी.डी.पी. में गिरावट का अनुमान
वित्तीय सेवा क्षेत्र की 2 प्रमुख कम्पनियों का अनुमान है कि नोटबंदी से भारत में उपभोग मांग में कमी आई है और इसका प्रभाव सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) वृद्धि पर पड़ेगा। एच.एस.बी.सी. और सिटी समूह ने जी.डी.पी. के बारे में जो ताजा अनुमान जारी किए हैं वे सरकार के अनुमान से कम हैं।  गौरतलब है कि सरकारी निकाय केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सी.एस.ओ.) ने भी वित्त वर्ष 2016-17 में जी.डी.पी. वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया है। एच.एस.बी.सी. ने एक रिपोर्ट में जी.डी.पी. वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 में सी.एस.ओ. के अनुमान से भी कम रहने की संभावना जताई है। एच.एस.बी.सी. की इस रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जी.डी.पी. वृद्धि 6.3 प्रतिशत रह सकती है।
 

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