प्रवासियों को मामूली किराए पर मिलेगा घर, सरकार इन दो मॉडलों पर कर रही विचार
Saturday, Sep 19, 2020 - 07:09 PM (IST)
नई दिल्ली: गांवों से रोजी रोटी कमाने शहर आने वाले प्रवासियों के लिए सरकार मामूली किराए पर घर देने की योजना पर काम कर रही है। योजना का उद्देश्य शहरों में आने वाले लोगों को कम कीमत पर रहने की जगह उपलब्ध कराना हैं ताकि वह आसानी से अपना गुजारा कर सकें। वास और शहरी विकास मंत्रालय इस योजना के लिए दो मॉडल पर काम कर रही है। 31 जुलाई से शुरू हुई इस योजना को सरकार जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कोशिशों में लगी हुई है।
आवासों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में बदला जाए
मंत्रालय के अधिकारियों ने इन दो मॉडलों की जानकारी देते हुए बताया कि, पहला मॉडल है कि शहरों में सरकारी पैसे से बने आवासों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में बदला जाए। जिसके बाद जरूरतमंद प्रवासियों को एक हजार से तीन हजार रुपए के किराये पर उपलब्ध कराए जाए। सरकार इस योजना को पीपीपी मोड में संचालित करना चाह रही है। खबरों की मानें तो ये आवास 25 वर्षों के लिए अलॉट होंगे। फिर इन्हें लोकल बॉडीज के हवाले कर दिया जाएगा और फिर नए सिरे से आवंटन होगा।
मिलेगा स्पेशल इनसेंटिव
शहरी विकास मंत्रालय ने दूसरा मॉडल के तहत निजी और सार्वजनिक संस्थानों को उनकी खाली पड़ी जमीन पर किराये के घर बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। अगर शहरी क्षेत्र में कोई फैक्ट्री है और उसके पास खाली जमीन है तो प्रवासियों के लिए वहां कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसमें सरकार भी मदद देगी। खास बात है कि निजी क्षेत्र के ऐसे कॉम्प्लेक्स बनाने पर उन्हें स्पेशल इनसेंटिव दिए जाएंगे।
गुरूवार को छह सांसदों ने लोकसभा में इस मामले पर लिखित में सवाल पूछ, जिसके जवाब में आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि शहरी प्रवासियों और गरीबों को किफायती किराये पर आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) योजना 31 जुलाई को शुरू हुई है। बता दें कि कोरोना काल में 20 लाख करोड़ के पैकेज के तहत यह योजना भी आती है। शुरूआत में इस पर छह सौ करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है।