दवाइयां आ सकती हैं कीमत नियंत्रण के दायरे में, लोगों को मिलेगी राहत

Tuesday, Jul 03, 2018 - 12:11 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सरकार देश में दवा की कीमतें तय करने की वर्तमान व्यवस्था को बदलने की योजना बना रही है। इसके तहत दवा कीमत नियंत्रण आदेश 2013 में इस एक संशोधन पर पूरी सक्रियता से विचार किया जा रहा है कि दवाओं पर 5एमजी, 10एमजी जैसे स्ट्रेंथ बताने वाले संकेतों को हटाया जाए। अगर ऐसा हुआ तो भारतीय दवा बाजार की करीब एक चौथाई दवाइयां (मूल्य के लिहाज से) कीमत नियंत्रण के दायरे में आ जाएंगी।



सरकार तय करती है आवश्यक दवाओं की कीमत
इस समय 850 से अधिक आवश्यक दवाओं की अधिकतम कीमतें सरकार तय करती है। ये दवाएं आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के तहत आती हैं। इन दवाओं के अधिकतम दाम सरकार तय करती है। आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल दवाओं की अधिकतम कीमतों में हर साल थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर बढ़ोतरी की जा सकती है। इस सूची से बाहर जो दवाएं हैं, उनकी कीमतों में हर साल करीब 10 फीसदी बढ़ोतरी की मंजूरी है।



17% दवा बाजार है कीमत नियंत्रण के दायरे में 
भारतीय दवा बाजार करीब 1.2 लाख करोड़ रुपए का है, जिसमें से करीब 17 फीसदी अब कीमत नियंत्रण के दायरे में है। इस समय किसी दवा पर कीमत नियमन तभी लागू होता है, जब वह एक निर्धारित स्ट्रेंथ में हो और आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची के दायरे में आती हो। मान लो कि कीमत नियंत्रण आदेश में 100एमजी स्ट्रेंथ का जिक्र किया गया है लेकिन दवा विनिर्माता डॉक्टरों या खुदरा विक्रेताओं को प्रोत्साहन देकर उसी दवा के 250एमजी वाले फॉर्म की बिक्री को बढ़ावा दे सकता है।



भारतीय दवा बाजार कीमत नियंत्रण के दायरे में
उद्योग ने एक सूत्र ने नाम न छापने का आग्रह करते हुए कहा, 'अगर दवा पर स्ट्रेंथ के उल्लेख को खत्म कर दिया जाता है तो आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची का दायरा करीब 40 फीसदी बढ़ जाएगा। इससे करीब 24 फीसदी भारतीय दवा बाजार कीमत नियंत्रण के दायरे में आ जाएगा, जो इस समय 17 फीसदी है।' सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई चीजों पर विचार किया जा रहा है और करीब एक महीने में ही स्थिति ज्यादा साफ हो पाएगी। हालांकि उन्होंने उन संशोधनों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया, जिन्हें लेकर विचार-विमर्श चल रहा है।

jyoti choudhary

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