मॉरीशस के विदेशी निवेशक एफपीआई पंजीकरण के पात्र रहेंगे, निगरानी बढ़ेगी: सेबी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 02:19 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि मॉरीशस के विदेशी निवेशक एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) पंजीकरण के पात्र बने रहेंगे। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उनकी निगरानी बढ़ाई जाएगी। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने कर पनाहगाह मॉरीशस को ‘ग्रे लिस्ट' में रखा था। इसके बाद यह घोषणा की गई है।

एफएटीएफ एक अंतर सरकारी नीति बनाने वाला निकाय है, जो धन शोधन रोधक मानक तय करता है। भारत में निवेश करने वाले एफपीआई में एक बड़ी संख्या मॉरीशस में पंजीकृत है। अमेरिका के बाद मॉरीशस देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है। एनएसडीएल के जनवरी के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के एफपीआई के संरक्षण के तहत 11,62,579 करोड़ रुपए की संपत्तियां हैं। वहीं मॉरीशस के एफपीआई के संरक्षण में 4,36,745 करोड़ रुपए की संपत्तियां हैं। एफएटीएफ के नोटिस के बाद कुछ कोष प्रबंधकों ने नियामक का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने मॉरीशस के जरिए एफपीआई पंजीकरण की वैधता को लेकर चिंता जताई थी। 

सेबी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि मॉरीशस के विदेशी निवेशक एफपीआई पंजीकरण के पात्र बने रहें। एफएटीएफ नियमों के तहत उनकी निगरानी बढ़ाई जाएगी। पिछले कई साल से यह धारणा बनी हुई है कि सीमित निगरानी की वजह से एफपीआई के लिए मॉरीशस धनशोधन का जरिया बना हुआ है। सेबी ने कहा, ‘‘जब किसी क्षेत्र को अतिरिक्त निगरानी में डाला जाता है तो इसका आशय होता है कि संबंधित देश ने सामने आई रणनीतिक खामियों को निर्धारित समयसीमा में सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई है।'' 

नियामक ने एक विस्तृत बयान में कहा कि एफएटीएफ ने इन क्षेत्रों में अतिरिक्त जांच परख पर जोर नहीं दिया है। वह अपने सदस्यों को सिर्फ इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रहा है कि वे इस सूचना को अपने जोखिम विश्लेषण में शामिल करें। ‘ग्रे लिस्ट' वाले देशों के एफपीआई की निगरानी बढ़ाई जाती है। ऐसे देश धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण आदि में रणनीतिक खामियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ काम करते हैं। एफएटीएफ के अनुसार, फिलहाल मॉरीशस और पाकिस्तान सहित 18 क्षेत्र ऐसे हैं, जो रणनीतिक खामियों वाले हैं।


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jyoti choudhary

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