बंकर को बनाया घर

Monday, Sep 26, 2016 - 02:03 PM (IST)

जालंधरः मार्टिन हेइमेइर ने अपने आवास की छत में एक बड़े छेद को बंद करने के स्थान पर वैसा ही छोडऩे का फैसला किया। हालांकि, उन्होंने इसके किनारों पर थोड़े-से कंक्रीट तथा सुनहरे रंग के प्रयोग से इसे आकर्षक रूप दे रखा है। इसके ठीक ऊपर एक स्पॉटलाइट लगाई गई है क्योंकि यह हिस्सा उनके अनूठे घर का लिविंग रूम है। इस घर में साढ़े 3 मीटर चौड़ा यह छेद द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए एक बम से हुआ था। इसके बावजूद यह मजबूत इमारत खड़ी रही थी। दरअसल, मार्टिन का यह घर जर्मनी के शहर एसेन के एक पुराने बंकर में बनाया गया है।  

फैक्टरियों तथा दफ्तरों की इमारतें डिजाइन करने वाला आर्किटैक्ट मार्टिन अपनी पत्नी के साथ 2 वर्ष से इस बंकर में बने अपने 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले पैंटहाऊस में रह रहा है। हालांकि, उनका यह बंकर भूमिगत नहीं है। मार्टिन के दादा-दादी टैक्सटाइल कारोबारी थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में खाली पड़े इस बंकर को गोदाम के रूप में प्रयोग करने के लिए किराए पर लिया था। इसका निर्माण वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों के हवाई हमलों के दौरान नागरिकों के छुपने के लिए किया गया था। 

दशकों बाद मार्टिन ने इसके किराए का करार अपने नाम करवा कर यहां अपना दफ्तर बनाया। वर्ष 2009 में जर्मन प्रशासन ने इस बंकर की नीलामी का फैसला किया। इसमें कई लोगों ने रुचि ली परंतु सबसे ऊंची बोली मार्टिन ने लगाई और यह बंकर उसका हो गया। जर्मनी भर में द्वितीय विश्व युद्ध तथा बाद में शीत युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में भूमिगत तथा भूमि पर बंकर बनाए गए थे जिनका मकसद नागरिकों को हवाई हमलों के दौरान सुरक्षित रखना था। 

1989 में साम्यवाद के पतन तथा सोवियत संघ के विघटन के बाद उससे खतरा खत्म होने पर इन बंकरों में से अधिकतर को ध्वस्त कर दिया। अपने आकार तथा अत्यधिक मोटी दीवारों की वजह से इनमें से कइयों को ध्वस्त करना काफी महंगा काम था इसलिए कई बंकर आज भी बचे हुए हैं। मार्टिन के आवास वाले बंकर की दीवारें ही 1.1 मीटर मोटी हैं। हाल के दिनों में इन्हें कई तरह से इस्तेमाल करने के लिए परिवर्तित करने का रुझान भी काफी बढ़ गया है। कई स्थानों पर इनको रिहर्सल रूम, एग्जीबिशन स्थल, दफ्तर या अपार्टमैंट के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा है। 

वर्ष 2005 से लेकर अब तक करीब 230 ऐसे बंकर बिक चुके हैं।  इन्हें खरीदने वालों में आर्किटैक्ट, डिवैल्पर, लोग, कलाकार तथा क्लब शामिल हैं। वहां प्रति वर्ष 20 बंकरों का स्वामित्व बदल रहा है। ‘अजीबो गरीब तथा विशेष रियल एस्टेट’ माने जाने वाले ऐसे बंकर सस्ते भी नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर का मूल्य 20 हजार से लेकर 40 लाख यूरो के मध्य है। जल्द ही हैमबर्ग में 1 तथा रूर नामक कस्बे में 3 बंकर बिकने वाले हैं। 

आखिर लोग ऐसे बंकरों को खरीदते क्यों हैं, पर जर्मन रियल एस्टेट के एक जानकार थोर्सटन ग्रुएजनर कहते हैं, ‘‘इनमें सम्भावनाओं की कोई कमी नहीं है। एक परिवर्तित आसाव में कंक्रीट का निर्माण एक अलग ही तरह का माहौल तैयार करता है। वैसे भी जब आप करीब 1 मीटर मोटी दीवारों के पीछे रह रहे हों तो खुद को बेहद सुरक्षित महसूस करना भी स्वाभाविक है।’’ 

मार्टिन ने अपने बंकर में 3 अपार्टमैंट तैयार किए हैं जो उसके अपने पैंटहाऊस के अतिरिक्त हैं। इन अपार्टमैंट्स में से दो 250 वर्ग मीटर तथा एक छोटा 95 वर्ग मीटर का है। मार्टिन ने इन तीनों को ही किराए पर दिया है। किसी वक्त 600 लोगों के छुपने के लिए तैयार इस बंकर में आज केवल 9 लोग रहते हैं। अपार्टमैंट्स में कुछ ही दीवारें हैं यानी इसके कमरे काफी बड़े आकार के हैं जिन्हें सुंदर व स्टाइलिश रूप दिया गया है। इन्हें पूरी तरह से तैयार करने में मार्टिन को 2 वर्ष का वक्त लगा है। चूंकि दीवारें बेहद मोटी हैं तो इसमें खिड़कियों को सामान्य से बड़ा रखना पड़ा है ताकि पर्याप्त मात्रा में कुदरती रोशनी भीतर तक प्रवेश कर सके। 

दीवारों को भी इंसुलेट किया गया और उन्हें धातु की चादरों से इस तरह ढंक दिया गया कि बाहर से देखने पर कोई नहीं कह सकता कि मूल रूप से यह इमारत एक बंकर थी। मार्टिन के अनुसार अपने इस आवास में वह बेहद आरामदायक महसूस करते हैं। मोटी दीवारों की वजह से कम तापमान के दौरान भी भीतर गर्माहट का एहसास बना रहता है। 

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