महंगाई की मार...आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, कम सप्लाई और ऊंचे दामों ने बिगड़ा रसोई का बजट

punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2024 - 05:24 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में देर से हुई बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान के चलते राष्ट्रीय राजधानी में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में आम उपभोक्ताओं को टमाटर जैसी रोजमर्रा की चीजें दोगुनी कीमत पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। थोक बाजारों में दुकानदारों ने बताया कि खासतौर पर आलू, प्याज और टमाटर जैसी रसोई की मुख्य वस्तुओं के साथ ही फूलगोभी, पत्तागोभी और लौकी जैसी हरी सब्जियों के दामों में उछाल आया है। 

आजादपुर सब्जी मंडी के एक व्यापारी संजय भगत ने बताया, ''फिलहाल टमाटर का थोक भाव 50 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम है। स्थानीय किस्म का टमाटर 1,200 रुपए प्रति 28 किलोग्राम (एक क्रेट) और हाइब्रिड किस्म का टमाटर 1,400 से 1,700 रुपए में बिक रहा है। पहले टमाटर का भाव 25-30 रुपए प्रति किलोग्राम था।'' उन्होंने कहा, ''थोक बाजार में अन्य सब्जियों की कीमत करीब 25 से 28 रुपए प्रति किलोग्राम है। जो सब्जियां 10 से 15 रुपए में बिकती थीं, वे अब 25 से 30 रुपए में मिल रही हैं। बीन्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जो 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रही हैं।'' इस साल तेज गर्मी और बारिश में देरी के कारण कीमतों में उछाल आया है। 

भगत ने कहा कि ज्यादातर आपूर्तिकर्ता हिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार गर्मी बहुत थी और बारिश बहुत कम हुई। इससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्रमित हो गए। उन्होंने कहा कि सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा। ओखला सब्जी मंडी के एक व्यापारी ने कहा कि अभी केवल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है - कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश। 

महाराष्ट्र से 10-15 अगस्त के आसपास नई फसल आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी। दिल्ली में कई लोगों ने कहा कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है। लक्ष्मी नगर सब्जी मंडी में किराने का सामान खरीद रहीं सरिता ने कहा, ''मैं सीमित मात्रा में ही खरीद रही हूं और सिर्फ वही चीजें खरीद रही हूं, जो रसोई में बिल्कुल जरूरी हैं। आम आदमी अभी सब्जियां नहीं खरीद सकता।'' महरौली सब्जी मंडी में दीपक ने कहा, ''पहले 200 से 300 रुपए में हम पूरे हफ्ते की सब्जियां खरीद लेते थे लेकिन अब यह दो से तीन दिन में ही खत्म हो जाती हैं। रसोई का बजट संभालना मुश्किल हो गया है।'' 

दूसरी ओर, कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद कई रेस्तरां कीमतों में बदलाव करने से बच रहे हैं। कनॉट प्लेस में जेन रेस्तरां के मालिक और नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मानद कोषाध्यक्ष मनप्रीत सिंह ने कहा कि ज्यादातर रेस्तरां में निश्चित मेनू होते हैं और उनके पास नियमित ग्राहक होते हैं, इसलिए वे आपूर्तिकर्ताओं की तरह कीमतों में उतार-चढ़ाव नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ''इससे हमारे मार्जिन पर दबाव पड़ता है। हम अपनी कीमतों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं करने की कोशिश करते हैं लेकिन कभी-कभी हमें अप्रत्याशित लागत वृद्धि के कारण ऐसा करने को मजबूर होना पड़ता है।''


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Content Writer

jyoti choudhary

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