नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद कम

Wednesday, Apr 05, 2017 - 05:42 PM (IST)

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने आज अपनी 2 दिवसीय बैठक शुरू की। इस बीच विशेषज्ञों का अनुमान है कि केंद्रीय बैंक 2017-18 की इस पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रख सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव है।   

विशेषज्ञों के अनुसार अमरीका में ब्याज दर में वृद्धि से यह संकेत साफ है कि रिजर्व बैंक की मानक ब्याज दर में कमी नहीं होने जा रही है बल्कि भविष्य में इसमें वृद्धि हो सकती है जो घरेलू एवं बाह्य कारकों पर निर्भर करता है। हालांकि उनका मानना है कि रिजर्व बैंक 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी के मद्देनजर बैंकों के पास आई भारी नकदी को सोखने के लिए 'स्थायी जमा सुविधा' (एसडीएफ) समेत कुछ उपाय कर सकता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार बैंकों में नोटबंदी के बाद 14 लाख करोड़ शेयर आए हैं।  

एच.डी.एफ.सी. बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरूआ ने कहा कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को यथावत रख सकता है। उन्होंने कहा, "हमारे हिसाब से केंद्रीय बैंक का तटस्थ नीति रूख का संकेत देने के लिए रिजर्व बैंक अतिरिक्त नकदी सोखने के उपायों पर जोर होगा। इससे उसे मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के जरिए अधिक सुविधा होगी।" यह 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की चौथी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल ए आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य हैं। कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, "मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को बरकरार रखेगा।" 

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