गरीब की रसोई में फिर लगेगा दाल का तड़का

Sunday, Sep 18, 2016 - 06:03 PM (IST)

नई दिल्लीः मौजूदा वर्ष में दलहन का रकबा बढऩे, दालों का भंड़ारण बढ़ाने तथा विदेशों में दलहन की खेती कराने के प्रयासों से आने वाले समय में गरीब की रसोई में एक बार फिर ‘दाल का तड़का’ लगने की उम्मीद है। सरकार द्वारा जारी आंकडों के अनुसार सिर्फ ‘दाल- रोटी’ के लिए दिनभर कड़ी मेहनत करने वाले आम आदमी की थाली में एक बार फिर दाल की कटोरी आने की संभावना दिखाई दे रही है। मौजूदा वर्ष में अभी तक 144.96 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई की गई है जबकि इससे पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह आंकडा 112.43 लाख हैक्टेयर रहा था। सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मूंग की खरीद करने का निर्णय लिया है। 


मूंग आने के कारण खरीद के आदेश दिए

उल्लेखनीय है कि कई वर्षों से मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होता था परंतु खरीद नहीं होती थी। इस वर्ष महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने के प्रस्ताव आने पर कृषि मंत्रालय ने एक अक्तूबर से लागू होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य को एक सितंबर से लागू कर दिया है और बाजार में मूंग आने के कारण खरीद के आदेश जारी कर दिए हैं। 


घरेलू स्तर पर दाल दलहन की आपूर्ति करने के लिए सरकार विदेशों में भी खेती कराने का प्रयास कर रही है। इसके लिए ब्राजील, मोजाम्बिक, म्यांमार और कई अफ्रीकी देशों के साथ करार किया गया है। भारत घरेलू आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया, म्यांमार, कनाडा तथा दक्षिणी अफ्रिकी देशों से दाल का आयात करता है।

Advertising