मोदी सरकार के चार साल, जानें भारतीय अर्थव्यवस्था का हाल

Saturday, May 26, 2018 - 11:42 AM (IST)

नई दिल्लीः चार साल पहले 26 मई 2014 मोदी सरकार ने देश की सत्ता संभाली थी। भाजपा का वादा था कि उनकी सरकार बनने के बाद अच्छे दिन हर तरह से आएंगे। यानी कि लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी, कर्ज सस्ता होगा, हर साल 2 करोड़ नौकरियां मिलेंगी। सबके पास घर होगा, बिजनेस करना आसान होगा, किसान की इनकम डबल हो जाएगी। आज जब केंद्र में मोदी सरकार के 4 साल पूरे हो गए तो भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत हकीकत में क्या है?



रुपया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) की ओर से दिए गए रेफरेंस रेट्स से पता चलता है कि 25 मई 2018 तक डॉलर के मुकाबले रुपया 16 फीसदी से ज्यादा टूट गया। यानी, इस दौरान एक डॉलर की कीमत 10 रुपए बढ़कर 68.21 रुपए तक पहुंच गई। कई ब्रोकरेज हाउसों का मानना है कि जल्द ही रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर को छूएगा।



शेयर बाजार
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सैंसेक्स और निफ्टी करीब 40 फीसदी चढ़े हैं। 26 मई 2014 को सैंसेक्स 27,716.90 पर था जो 25 मई 2018 को 34,924.87 का स्तर छू लिया। इस दौरान सैंसेक्स ने 29 जनवरी 2018 को 36,443 अकों का सर्वोच्च स्तर प्राप्त कर लिया था जबकि निफ्टी पहली बार 10,000 के आंकड़े को पार कर लिया। 25 मई को निफ्टी 10605.15 अंक पर बंद हुआ।



महंगाई
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि मई 2014 में महंगाई 8.4 फीसदी पर थी जो पिछले महीने अप्रैल 2018 में करीब आधे 4.58 फीसदी पर थी। जून 2017 में तो महंगाई गिरकर 1.46 फीसदी तक पहुंच चुकी थी।



विदेशी मुद्रा भंडार
देश का फॉरेक्स रिजर्व पिछले 4 सालों में करीब 35 फीसदी बढ़ गया। 11 मई 2018 को सरकार के पास 417 अरब डॉलर का रिजर्व हो गया था जो 30 मई 2014 को 312.66 अरब डॉलर रहा था। अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा भंडार 426.08 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू लिया था।



नौकरियों के अवसर 
मोदी सरकार ने वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ नई नौकरियां दी जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। नौकरियों के अलग-अलग आंकड़ों को लेकर विवाद जरूर गहराता रहा और नौकरियां बढ़ने की बजाय कम होने के आरोप सरकार पर लगे। हालांकि, एस.बी.आई. के चीफ इकोनॉमिस्‍ट डॉ. सौम्‍या कांति धोष की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में लगभग 67 लाख नई नौकरियां पैदा हुई। वहीं, इससे पहले 2015 में 1.55 लाख और 2016 में 2.31 लाख नौकरियों के मौके पैदा कर पाई।



काले धन पर चौतरफा वार
मोदी सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल में जी.एस.टी. का क्रियान्वयन, कालेधन को बाहर निकालने के मकसद से नोटबंदी का ऐलान, बैंकिंग सेक्टर के फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के लिए दिवालिया कानून में संशोधन एवं भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकारी सब्सिडी सिस्टम में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण विद्युतीकरण, सबको अपना घर, डिजिटाइजेशन आदि जैसे तमाम महत्वाकांक्षी योजनाएं सामने आईं।



टैक्‍स कम हुआ कि नहीं 
मई 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, देश में 5.17 करोड़ टैक्सपेयर थे। जो 4 साल में बढ़कर 8 करोड़ हो गए हैं। भाजपा का वादा था कि वह धीरे-धीरे टैक्स रेट में कटौती करेगी। इन 4 साल में कटौती के फ्रंट पर सैलरीड क्लास को साल 2016-17 में टैक्स स्लैब में बदलाव से थोड़ी राहत दी गई। सरकार ने इसके तहत एंट्री टैक्स स्लैब के रेट को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। इससे 5 लाख तक के इनकम वालों को थोड़ी राहत मिली। इसके अलावा और कोई बड़ी राहत नहीं दे पाई। हालांकि टैक्स डिडक्शन लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर सेविंग बढ़ाने की जरुर कोशिश की। खुद वित्त मंत्री अरुण जेतली ने इस बार के बजट पेश करने के बाद स्वीकार किया था, कि अभी वेतनभोगी पर टैक्स का बोझ ज्यादा है।



स्‍टार्ट-अप्‍स 
युवाओं को स्‍व-रोजगार के प्रति आकर्षित करने के लिए मोदी सरकार ने कई नई योजनाएं शुरू की। इसमें स्‍टार्ट-अप इंडिया एक बड़ी मुहिम शुरू की गई। हालांकि अब तक आंकड़े बताते हैं कि अब तक 99 स्‍टार्ट-अप को ही फंड दिया गया। वहीं, सरकार के स्‍टैड अप इंडिया और मुद्रा स्‍कीम की वजह से नए एंटरप्रेन्‍योर की संख्‍या बढ़ी है। मुद्रा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-17 में कुल 3.97 करोड़ कारोबारियों को मुद्रा लोन दिया गया, जिसमें से 99.89 लाख नए कारोबारी हैं। इसके अलावा अब कंपनी का रजिस्ट्रेशन टाइम 4-5 दिन से घटकर 1 पर आ गया है।

jyoti choudhary

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