मेथेनॉल मिलाकर LPG बेचने की तैयारी, 100 रुपए कम होगी सिलेंडर की कॉस्ट!

Tuesday, Oct 02, 2018 - 11:15 AM (IST)

नई दिल्ली (एजेंसी): एल.पी.जी. सब्सिडी में निकट भविष्य में 30 प्रतिशत की कमी करने की कोशिश में सरकार जल्द मेथेनॉल मिली हुई एल.पी.जी. लाएगी। अनुमान है कि ऐसा करने से एल.पी.जी. के एक सिलेंडर की कॉस्ट 100 रुपए घट जाएगी। सरकार इस बीच कोयले से मेथेन के उत्पादन पर जोर दे रही है। वित्त वर्ष 2019 के बजट में अनुमान लगाया गया था कि एल.पी.जी. सब्सिडी 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की होगी। सरकार ने मेथेन उत्पादन के लिए कुछ खास कोयला खदानें एलोकेट की हैं। इससे पहले नीति आयोग ने देश के लिए एक मेथेनॉल इकॉनोमी का रोडमैप पेश किया था, जिसमें ऑटोमोटिव और हाउसहोल्ड सेक्टर, दोनों पर जोर था। इसका मकसद भारत के बढ़ते फ्यूल इम्पोर्ट बिल को कम करना है।



 20 प्रतिशत मेथेनॉल को एल.पी.जी. में मिलाया जाएगा
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग की निगरानी में इस पायलट प्रोजेक्ट तहत 20 प्रतिशत मेथेनॉल को एल.पी.जी. में मिलाया जाएगा, जैसा कि अन्य देशों में किया गया है। इस संबंध में निर्णय हाल में नीति आयोग और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बीच मीटिंग में किया गया था। अभी-सभी एल.पी.जी. कंज्यूमर्स को मार्केट प्राइस पर इसे खरीदना होता है। हालांकि, सरकार प्रति परिवार हर साल 14.2 कि.ग्रा. के 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी देती है। सब्सिडी की यह रकम सीधे यूजर के बैंक खाते में जाती है।



2030 तक क्रूड इम्पोर्ट में 100 अरब डॉलर सालाना की आ सकती है कमी 
नीति आयोग के मेथेनॉल इकॉनोमी रोडमैप अनुसार देश में अगर ट्रांसपोर्टेशन और कुकिंग में 15 प्रतिशत ब्लेंडेड फ्यूल का भी उपयोग होने लगे तो साल 2030 तक क्रूड इम्पोर्ट में 100 अरब डॉलर सालाना की कमी आ सकती है। योजना यह है कि आसानी से मिलने वाले कम क्वॉलिटी के कोयले और अन्य जैव संसाधनों से मेथेनॉल बनाया जाए। मेथेनॉल की सिंथेटिक मैन्युफैक्चरिंग पहले से चल ही रही है। कोयले से उत्पादन करने पर आने वाले दिनों में मेथेनॉल की बढ़ती मांग पूरी की जा सकेगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कोयले से मेथेनॉल के कमर्शियल प्रोडक्शन के लिए पुणे, हैदराबाद और त्रिची में 100 करोड़ रुपए से शोध एवं अनुसंधान परियोजनाएं चला रहा है। इसके अलावा, वेस्ट बंगाल और झारखंड में मेथेनॉल के कमर्शियल प्रोडक्शन के लिए पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। दोनों राज्य सरकारों ने इसके लिए एक कोयला खदानें आबंटित की हैं।

Anil dev

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