स्वेज नहर में फंसा विशाल जहाज, जानिए भारत सहित ग्लोबल ट्रेड पर क्या होगा असर?

Saturday, Mar 27, 2021 - 10:56 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः स्वेज नहर (Suez Canal) दुनिया का सबसे बिजी शिपिंग रूट है। इस रूट पर एक विशाल शिप के फंसने की वजह से दूसरी जहाजों का आना जाना बंद हो गया है। रास्ता ब्लॉक होने की वजह से पिछले 4 दिनों से जहाजों का आना जाना बंद है। स्वेज नहर में MV Ever Given जहाज फंसा है। MV Ever Given दुनिया के सबसे बड़े जहाजों में शामिल है। इस जहाज की लंबाई करीब 400 मीटर है। तेज हवाओं के कारण जहाज तिरछा होकर फंसा है। स्वेज नहर से दुनिया का करीब 10 फीसदी शिपिंग ट्रेड होता है। इतना ही नहीं जितने दिन सुएज कैनल बंद रहेगा, हर दिन 9 अरब डॉलर के सामान की आवाजाही प्रभावित होगी। 

शिपिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी 
स्वेज नहर में इस बड़े जहाज के फंसने से बड़े बाजारों में ऑयल, पेट्रोलियम प्रोडक्ट पहुंचने की डिलवरी में देरी हो रही है। इससे शिपिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी हो रही है और पूरा ग्लोबल ट्रेड प्रभावित हो रहा है। इस जहाज के फंसने और उससे पैदा हुए संकट के चलते 24 मार्च को कच्चे तेल की कीमतों में 6 फीसदी का उछाल देखने को मिला। VesselFinder पर उपलब्ध ताजी जानकारी के मुताबिक इस जहाज को रिफोल्ट करनी की कोशिश जारी है और इस प्रयास में कई टग बोट लगी हुई है लेकिन 2.20  लाख टन के इस दैत्याकार 400 मीटर लंबे जहाज को रास्ते पर लाने के कई प्रयास अब तक असफल हो चुके हैं।

ऑयल एंड गैस की एनालिस्टिक प्लेटफॉर्म Vortex के मुताबिक इस ट्रैफिक जाम में कम से कम 10 क्रूड ट्रैकर फंसे हुए है जिनमें कुल 13 मिलियन बैरल कच्चा तेल लदा हुआ है। इसके अलाव 9 ऐसे जहाज भी फंसे हुए है जिनमें डीजल सहित दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट लदे हुए है। Vortex से मिली जानकारी के मुताबिक इस ट्रैफिक जाम में प्रति दिन करीब 50 नए जहाज फंस रहे है। इस समस्या से निपटने के लिए अगर कोई दूसरा रुट पकड़ा भी जाता है तो फिर मिडिल ईस्ट-यूरोप की यात्रा में 15 दिन की और देरी हो जाएगी।

भारत पर क्या होगा असर
स्वेज नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ती है। यह पूरी दुनिया में समुद्र के रास्ते होने वाला अहम ट्रेड रुट है। इसकी वजह से भारत में कच्चा तेल, दूसरे पेट्रोलियम उत्पादन के आपूर्ति में देरी हो रही है और जहाज के परिवहन भाड़े में भी बढ़त हो रही है। भारत स्वेज नहर के रास्ते होने वाले तेल आयात का सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है। भारत में इस रास्ते से प्रति दिन करीब 5 लाख बैरल तेल का आयात होता है। उसके बाद चाइना करीब इस रास्ते से 4 लाख बैरल तेल का आयात करता है।

रुस, सऊदी अरब, इराक, लीबिया और अल्जीरिया ऐसे बड़े तेल निर्यातक देश है। जहां इस रास्ते से तेल जाता है। इनमें से हर देश प्रति दिन 200,000 बैरल तेल का निर्यात करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना की वजह से अभी क्रूड की कीमतों में और तेजी आ सकती है।

क्यों अहम है स्वेज नहर
2019 के आकंड़ों पर नजर डाले तो प्रति दिन इस नहर से करीब 50 जहाज गुजरते हैं। 1869 में इस रास्ते से एक दिन में सिर्फ 3 जहाज गुजरते थे। कुछ अनुमानों के मुताबिक दुनिया का 12 फीसदी ट्रेड इस रास्ते से होता है जबकि 30 फीसदी कंटेनर शिप इसी रास्ते से गुजरते है। स्वेज नहर मानव निर्मित वाटर-वे है।

2015 में इसका विस्तार किया गया। इस वॉटर वे की लंबाई 193.30 किलोमीटर और गहराई 24 मीटर है। 2015 में किए गए विस्तार की वजह से इस रास्ते से दुनिया के बड़े से बड़े ट्रैकर भी गुजर सकते हैं। उम्मीद है कि 2023 तक इस नहर से गुजरने वाला ट्रैफिक दोगुना हो सकता है। महंगे पारगमन शुल्क के बाद इस स्वेज नहर के जरिए अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर के बीच तेजी से रास्ता तय किया जा सकता है। इसी वजह से इस रुट पर काफी ट्रैफिक रहता है।

उदाहरण के लिए अगर किसी जहाज को फारस की खाड़ी में स्थित किसी पोर्ट  से लंदन पोर्ट जाना हो तो उसको अफ्रीका के सबसे दक्षिणी छोर से होकर जाने में यूरोप जाने में जितना समय लगता है उसकी तुलना में इस रास्ते से जाने में सिर्फ आधा समय लगता है।

jyoti choudhary

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