मोदी सरकार को झटकाः जन-धन खातों को बैंकों की ‘न’

Wednesday, Aug 03, 2016 - 01:09 PM (IST)

नई दिल्ली: मोदी सरकार की सबसे सफल स्कीम जन-धन को बैंकों ने ही झटका दे दिया है। देश के कई बैंक अब जन-धन स्कीम के तहत जरूरतमंदों के खाते नहीं खोल रहे हैं। बैंकों के खिलाफ शिकायत इतनी बढ़ गई है कि वित्त मंत्रालय को बाकायदा पत्र लिखना पड़ा है। बैंक प्रमुखों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि बैंक किसी भी हालत में खाता खोलने के लिए मना नहीं कर सकते हैं।

 

मंत्रालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पत्र को अर्जेंट कैटेगरी (तत्काल श्रेणी) में रखा है। बताते चलें कि बैंकों के खिलाफ कई तरह की शिकायतें मिलने के उपरांत 25 जुलाई को वित्त मंत्रालय ने बैंक प्रमुखों, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखा था जिसके तहत मंत्रालय बैंकों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना के बारे कई हिदायतें दी हैं।

 

खुल चुके हैं 22.60 करोड़ से ज्यादा खाते

वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार जन-धन स्कीम के तहत कुल 22.60 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं जिस पर 18.33 करोड़ रूपे कार्ड भी जारी किए जा चुके हैं। कुल खातों में करीब 40,000 करोड़ रुपए जमा हैं। हालांकि 22.60 करोड़ खातों में से करीब 25 प्रतिशत ऐसे हैं जिनमें जीरो बैलेंस है।

 

वित्त मंत्रालय के पत्र से

* बैंक जन-धन स्कीम के तहत लोगों के खाते न खोलने की शिकायतें लगातार बढ़ी हैं जो किसी भी तरह से सही नहीं है।

* यह साफ किया जाता है कि अभी भी जन-धन स्कीम चल रही है। ऐसे में बैंक किसी भी ग्राहक को खाता खोलने के लिए मना नहीं कर सकते हैं।

* साथ ही खाता खोलते वक्त बैंकर्स को ग्राहकों को यह भी बताना जरूरी है कि जन-धन खाते पर ओवरड्राफ्ट, इंश्योरैंस, जीरो बैलेंस आदि की सुविधा दी जा रही है।

* खाता खोलते वक्त सभी बैंकों के लिए जरूरी है कि वे खाताधारक को रूपे कार्ड जरूर जारी करें।

* रूपे कार्ड पर मिलने वाला 30,000 रुपए का इंश्योरैंस कवर 31 जनवरी, 2015 के बाद खुले अकाऊंट पर नहीं मिलेगा। बाकी एक लाख रुपए का एक्सीडैंट इंश्योरैंस अभी भी मिल रहा है। 

 

पैंशनरों के बैंक खाते आएंगे प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 

देश में केंद्र सरकार के करीब 58 लाख पैंशनभोगियों के बैंक खातों को प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत समाहित किया जा सकता है। यह योजना वित्तीय समावेश का एक राष्ट्रीय मिशन है। सरकार के इस कदम को उसके उस लक्ष्य को पाने की दिशा में देखा जा रहा है जिसमें सभी तरह की सबसिडी और कल्याणकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभों को 31 मार्च, 2017 तक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के दायरे में लाया जाना है। इससे पहले सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वे उनकी शाखाओं में आने वाले सभी पैंशनरों के खातों के साथ उनके आधार नंबर दाखिल करें।   

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