जेतली ने बताया, फंसे कर्ज के समाधान का उद्देश्य

Saturday, Aug 19, 2017 - 03:29 PM (IST)

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कर्ज के दबाव में फंसी कंपनियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके पुराने फंसे कर्ज (एन.पी.ए.) की समस्या का समाधान करने के पीछे मूल उद्देश्य कारोबार को समाप्त करना नहीं है बल्कि उसे बचाना है। उन्होंने कहा कि नए दिवाला कानून ने उन कर्जदारों जो उसे समय पर कर्ज नहीं लौटा पाएं और कर्ज देने वालों के रिश्तों में उल्लेखनीय बदलाव ला दिया है।

NPA समस्या के समाधान का उद्देश्य
जेतली ने कहा, ‘‘एन.पी.ए. समस्या के समाधान के पीछे वास्तविक उद्देश्य संपत्तियों को समाप्त करना नहीं है, बल्कि उनके व्यावसाय को बचाना है। यह काम चाहे इन कंपनियों के मौजूदा प्रवर्तक खुद करें अथवा अपने साथ नया भागीदार जोड़कर करें या फिर नए उद्यमी आएं और यह सुनिश्चित करें कि इन मूल्यावान संपत्तियों को संरक्षित रखा जा सके।’’ जेतली आज यहां देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल सी.आई.आई. द्वारा आयोजित एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभति हितों का प्रवर्तन (सरफेइसी) कानून शुरू के दो तीन सालों के दौरान एन.पी.ए. को प्रभावी ढंग से नीचे लाने में सफल रहा था। लेकिन उसके बाद ऋण वसूली न्यायाधिकरण उतने प्रभावी नहीं रहे जितना समझा गया था, जिसकी वजह से नया कानूना लाना पड़ा।

नया कानून लाने का कारण
जेतली ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आई.बी.सी.) नया कानून आने के बाद कर्जदार और लेनदार के रिश्तों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम कई सालों से एक ऐसी व्यवस्था में रह रहे हैं जिसमें कर्जदार को संरक्षण मिला हुआ था और परिसंपत्तियों को बेकार रखकर जंग लगने दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह पुरानी व्यवस्था जिसमें कर्ज देने वाला कर्जदार का पीछा करते करते थक जाता था और आखिर में उसे कुछ हाथ नहीं लगता था अब समाप्त हो चुकी है। यदि कर्ज लेने वाले को व्यवसाय में बने रहना है तो उसे अपने कर्ज की किस्त-ब्याज को समय पर चुकाना होगा अन्यथा उसे दूसरे के लिए रास्ता छोड़ना होगा। मुझे लगता है कि कोई भी कारोबार करने का यही सही तरीका हो सकता है, यह संदेश स्पष्ट रूप से सभी तक पहुंच जाना चाहिए।’’

एन.पी.ए. बड़ी समस्या
विभिन्न काम धंधों और उद्योगों में फंसे पुराने कर्ज की समस्या का तेजी से और समयबद्ध समाधान करने पर जोर देते हुए जेटली ने उम्मीद जाहिर की कि जो समय सीमा तय की गईं हैं उनका पालन किया जाएगा तभी इसका प्रभावी क्रियान्वयन हो सकेगा। बैंकों का फंसा कर्ज यानी एन.पी.ए. इस समय नियामकीय संस्थाओं के लिए बड़ी समस्या बन चुका है।  मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार विभिन्न बैंकों के कुल कर्ज में से 9.6 प्रतिशत राशि की  वापसी नहीं हो रही है जबकि दबाव में आया कुल कर्ज 12 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

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