RRB का आईटी एकीकरण 30 सितंबर तक पूरा हो जाएगा: नाबार्ड प्रमुख

punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 05:26 PM (IST)

नई दिल्लीः नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने सोमवार को कहा कि 'एक राज्य एक आरआरबी' के सिद्धांत पर हाल ही में विलय पूरा कर चुके क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का आईटी एकीकरण 30 सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। ‘एक राज्य एक आरआरबी' के सिद्धांत पर आरआरबी का एकीकरण एक मई से प्रभावी हो गया। इसका उद्देश्य पैमाने की दक्षता में सुधार और लागत को युक्तिसंगत बनाना था। इसके साथ, अब 26 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 28 आरआरबी हैं जिनकी 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाएं हैं। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाजी ने कहा कि एक मई तक राज्यस्तर पर सभी आरआरबी का एकीकरण किया गया है, और सितंबर तक आरआरबी का आईटी एकीकरण पूरा होने की उम्मीद है। चेयरमैन ने कहा कि नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) आरआरबी के साथ मिलकर एक साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा (इंफ्रास्ट्रक्चर) बनाने पर काम कर रहा है। वे ग्रामीण आबादी तक पहुंचने के लिए ऋण बुनियादी ढांचे (क्रेडिट इन्फ्रास्ट्रक्चर) और सरकारी डेटा सिस्टम शुरू कर रहे हैं। हालांकि, कम इंटरनेट बैंडविड्थ और जागरूकता जैसी चुनौतियां मौजूद हैं लेकिन इनसे निपटने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कृषि मूल्य श्रृंखलाओं के डिजिटलीकरण का जिक्र किया, जिनमें से करीब 20 पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं। 

नाबार्ड कई बैंकों के साथ मिलकर अधिक किसानों, खासकर भूमि रिकॉर्ड के अभाव वाले किसानों को इस प्रणाली में लाने के लिए काम कर रहा है। साथ ही, यह ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पहुंच के लिए ब्लॉकचेन-आधारित फसल ट्रेसेबिलिटी और बीसी (बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट) नेटवर्क के साथ काम कर रहा है। शाजी ने कहा कि सरकार अब एग्री स्टैक (कृषि के लिए), फिशरीज स्टैक और कोऑपरेटिव स्टैक जैसे अतिरिक्त स्टैक पर काम कर रही है। ‘कोऑपरेटिव स्टैक' से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ वितरित करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाने को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें करीब 70,000 समितियां पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं। 

वित्तीय समावेशन कोष के माध्यम से, नाबार्ड एनजीओ और फिनटेक के साथ प्रायोगिक परियोजनाओं का समर्थन कर रहा है। इसके अलावा, वे ग्रामीण-शहरी आय विभाजन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां दो-तिहाई आबादी राष्ट्रीय आय में केवल एक-तिहाई का योगदान देती है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड समान विकास सुनिश्चित करने के लिए समाधान पर काम कर रहा है और इसका लक्ष्य किसानों को कृषि व्यवसाय वाले उद्यमियों में बदलना है। इसके अलावा, नाबार्ड फिनटेक के साथ गुमनाम डेटा साझा करने के लिए सैंडबॉक्स वातावरण स्थापित कर रहा है।  


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Content Writer

jyoti choudhary

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