IT विभाग को Swiss बैंक खाता मामले में लगा झटका

Wednesday, Apr 26, 2017 - 10:42 AM (IST)

नई दिल्लीः एच.एस.बी.सी. स्विट्जरलैंड में गोपनीय बैंक खाते खोलने के संदेह में भारतीय टैक्स अधिकारियों के साथ जिन लोगों का पिछले पांच साल से चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा था, उनमें से कुछ को हाल में ट्राइब्यूनल से आई दो रूलिंग्स से राहत मिल सकती है। उद्योगपति श्याम सुंदर जिंदल के खिलाफ एक मामले में टैक्स ट्राइब्यूनल ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से कहा कि वह इस मामले पर फिर से विचार करें क्योंकि टैक्स अधिकारी सबूत नहीं दे सके। एक अन्य मामले में कोलकाता के बिजनसमेन बिश्वनाथ गरोडिया की अपील को आई.टी. अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सही ठहराया क्योंकि टैक्स अधिकारी सर्च ऑपरेशन के दौरान स्विस बैंक अकाउंट के संबंध में कोई ठोस दस्तावेज पाने में नाकाम रहे।

मामले को फिर से असेसिंग ऑफिसर के हवाले करते हुए ट्राइब्यूनल की दिल्ली ब्रांच ने कहा कि असेसिंग ऑफिसर ने तो जिंदल से कहा था कि बैंक खाते का ब्योरा स्विट्जरलैंड के साथ भारत की संधि के तहत हासिल किया गया, लेकिन असेसमेंट ऑर्डर में इसके उलट यह बात कही गई कि स्विस बैंकिंग अथॉरिटी से जरूरी सूचना नहीं मिली।

जिंदल के वकील के अनुसार टैक्स डिपार्टमेंट ने 'जिंदल की इनकम में जो ऐडिशन किया', वह पूरी तरह से कथित तौर पर याची के बैंक खाते की लूज शीट्स की फोटोकॉपी पर आधारित था। वकील के अनुसार, ये पेपर एक स्प्रेडशीट के प्रिंटआउट लगते हैं, न कि कोई प्रामाणिक बैंक स्टेटमेंट। उन्होंने कहा कि जिंदल को कभी यह भी नहीं बताया गया कि ये पेपर कहां से मिले। एच.एस.बी.सी. लिस्ट में जिन लोगों के नाम हैं, उनकी एक आम दलील यह है कि टैक्स अधिकारी जिस बेसिक डेटा पर भरेासा कर रहे हैं, वह चोरी का था और न तो बैंक और न ही स्विस गवर्नमेंट ने उसकी पुष्टि की। उनकी यह दलील भी रही है कि टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी देने वाले व्यक्ति से जिरह करने के उनके अधिकार की अनदेखी की जा रही है।

सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने कहा, 'दोनों रूलिंग्स से कुछ राहत तो मिलती है, लेकिन आई.टी. डिपार्टमेंट विदेशी बैंक खातों के मसले पर कभी भी नए सिरे से गौर कर सकता है। डिमांड तो हटा ली गई हैं, लेंकिन डिपार्टमेंट रीअसेसमेंट की कार्यवाही से जुड़े सेक्शन 147 के प्रावधान अब भी लागू कर सकता है। यानी वह आई.टी. ऐक्ट के सेक्शन 148 के तहत नोटिस जारी कर सकता है। हालांकि इस पर शक है कि पुराने खातों और लेनदेन के बारे में विभाग सूचना हासिल कर सकता है या नहीं।'

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