80:20 गोल्ड इंपोर्ट पॉलिसी की हो रही जांच, मिले नए सबूत

Friday, Aug 24, 2018 - 02:04 PM (IST)

नई दिल्लीः 80:20 गोल्ड इंपोर्ट स्कीम की सरकारी एजेंसियां जांच कर रही हैं। इस तरह के आरोप लगे हैं कि यूपीए 2 के कार्यकाल के अंत में स्कीम में बदलाव करने से कुछ प्राइवेट इकाइयों को फायदा हुआ था। सूत्रों ने बताया है कि जांच एजेंसियों को इन कथित गड़बड़ियों के सिलसिले में नए सबूत मिले हैं। इस मामले को लेकर एजेंसियों के बीच अहम सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ है और उन्हें लगता है कि इसकी और पड़ताल करने की जरूरत है।

जांच करेंगी एजेंसियां 
सूत्र ने बताया कि इसमें यह पता लगाया जाएगा कि जिन कथित फायदों की बात की जा रही है, कहीं वे सभी पक्षों के लिए तो नहीं थे। सूत्र के मुताबिक, एजेंसियां इसका पता लगा रही हैं कि क्या किसी सरकारी कर्मचारी ने पद पर रहते हुए किसी शख्स के लिए कोई कीमती चीज ली या बिना जनहित के किसी को फायदा पहुंचाया? सूत्र ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के सेक्शन 13 (डी) (iii) के तहत यह पड़ताल की जाएगी। इस तरह के आरोप लगे हैं कि इस स्कीम का फायदा भगोड़े डायमंड कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी को भी हुआ था। 

2013 में लाई गई थी स्कीम
शीर्ष सूत्रों ने संकेत दिया कि यूपीए 2 सरकार के सामने कई कंपनियों ने गोल्ड इंपोर्ट स्कीम को उदार बनाने के लिए प्रेजेंटेशन दिया था। जांच एजेंसियां इसकी भी पड़ताल कर रही हैं। गोल्ड इंपोर्ट स्कीम को अगस्त 2013 में गोल्ड इंपोर्ट कम करने के लिए लिया गया था। इसके तहत आयात किए गए 80 फीसदी गोल्ड को इस शर्त के साथ देश में बेचने की इजाजत थी कि 20 फीसदी गोल्ड का निर्यात किया जाएगा। स्कीम के तहत घरेलू प्रयोग के लिए गोल्ड का आयात करने की इजाजत सिर्फ बैंकों और एमएमटीसी व एसटीसी जैसी सरकारी कंपनियों को दी गई थी। 

Supreet Kaur

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