Budget 2022: उद्योग संगठन ने की प्राकृतिक गैस को GST के दायरे में लाने की मांग

Wednesday, Jan 26, 2022 - 05:12 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक उद्योग संगठन ने सरकार से आगामी बजट में प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की मांग की है। उद्योग संगठन ने कहा कि गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने तथा पर्यावरण के अनुकूल ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्राकर्तिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। 

वर्तमान में प्राकर्तिक गैस जीएसटी के दायरे से बाहर है। इस पर फिलहाल केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट (मूल्य वर्धित कर), केंद्रीय बिक्री कर लगाया जाता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (एफआईपीआई) ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में पाइपलाइन के जरिये प्राकृतिक गैस के परिवहन तथा आयातित एलएनजी के गैस में बदलने पर जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने की भी मांग की है। 

एफआईपीआई ने कहा, "प्राकृतिक गैस को जीएसटी व्यवस्था में शामिल न करने से प्राकृतिक गैस की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गैस उत्पादकों/आपूर्तिकर्ताओं को कई प्रकार के कर का सामना करना पड़ता है।" प्राकर्तिक गैस पर कई राज्यों में बहुत अधिक वैट लगाया जाता है। प्राकर्तिक गैस पर आंध्र प्रदेश में 24.5 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 14.5 प्रतिशत, गुजरात में 15 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 14 प्रतिशत वैट है। 

उद्योग मंडल ने कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में जल्द से जल्द शामिल करने की मांग की है। साथ ही एलएनजी को प्रदूषणकारी तरल ईंधन के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आयात शुल्क को कम करने का भी आग्रह किया है। 

उल्लेखनीय है कि प्रधान मंत्री ने 2030 तक देश में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसकी वर्तमान में हिस्सेदारी 6.2 प्रतिशत है। प्राकृतिक गैस के उपयोग बढ़ने से ईंधन लागत कम होगी।अ साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। 

jyoti choudhary

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