बिस्कुट पर GST दर घटाकर 12 प्रतिशत करने की उद्योग की मांग

Tuesday, Jan 16, 2018 - 04:02 PM (IST)

नई दिल्लीः देश के बिस्कुट विनिर्माताओं ने सरकार से बिस्कुट पर माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) की दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने की मांग की है। विनिर्माताओं का कहना है कि दर कम होने से उद्योग का विकास होगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा। बिस्कुट विनिर्माताओं का कहना है कि बिस्कुट आम आदमी का आहार है। रिक्शाचालक से लेकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बिस्कुट खाते हैं। बिस्कुट एक साफ-सुथरा और पोषक आहार है जो कि सस्ती दर पर उपलब्ध होता है, लेकिन इस पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगने से लागत बढ़ गई है।

भारतीय बिस्कुट विनिर्माता संघ (आई.बी.एम.ए.) के अध्यक्ष बी.पी. अग्रवाल ने आज यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बिस्कुट पर जी.एस.टी. दर को घटाकर 12 प्रतिशत किया जाना चाहिए। ऊंची दर से जी.एस.टी. लगने के कारण इस उद्योग की वृद्धि धीमी पड़ गई है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे कई अन्य उत्पादों पर काफी कम दर से जी.एस.टी. लगाया है। प्रसंस्कृत सूखा मेवा, चायपत्ती पर पांच प्रतिशत जी.एस.टी. लगाया गया है। इसी प्रकार जूस, नमकीन, नूडल, पास्ता, टमाटर की चटनी को 12 प्रतिशत जी.एस.टी. के दायरे में रखा गया है। ‘‘लेकिन बिस्कुट जैसे आम उपभोग के सामान पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. दिया गया है। इससे उद्योग को नुकसान हो रहा है। मांग घट रही है जिससे कई छोटे उद्योग बंदी के कगार पर पहुचने लगे हैं।’’

अग्रवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जी.एस.टी. लागू होने से पहले 100 रुपए किलो से कम दाम वाले बिस्कुट पर उत्पाद शुल्क नहीं लगता था, केवल 12 प्रतिशत की दर से वैट लागू था। महंगे बिस्कुट पर करीब 6 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क और 12 प्रतिशत वैट लागू था। उन्होंने कहा कि 65 प्रतिशत बाजार खपत सस्ते बिस्कुट की ही है। जिसपर अब 18 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. लगाया जा रहा है। इसे कम किया जाना चाहिए, अन्यथा लागत बढ़ने से बिस्कुट उद्योग की वृद्धि दर धीमी पड़ जाएगी। 

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