सोने को संकट का सबसे मजबूत साथी मानते हैं भारतीय, जानिए क्यों

Wednesday, Jan 29, 2020 - 11:11 AM (IST)

बिजनेस डेस्क: सोने की कीमतों में पिछले एक साल से जबरदस्त तेजी बनी हुई है। भारतीय बाजार में सोने की कीमत करीब 40,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच चुकी है। इसके बावजूद भारतीयों की सोने में दिलचस्पी कम नहीं हो रही है। आखिर क्या वजह है कि सोने की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के बाद खरीदारी कम होने का नाम नहीं ले रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने को भारतीय अनौपचारिक बीमा के तौर पर मानते हैं। वह इसे वित्तीय संकट का सबसे मजबूत साथी मानते हैं। पैसे की जरूरत पडऩे पर इसे बेचना या इसके एवज में कर्ज लेना सबसे आसान है। शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और कर्ज बाजार में बनी अस्थिरता से भी सोने में पैसा लगाना निवेशकों को सबसे सुरक्षित लगता है।

देश में सोने का आयात
वित्त वर्ष        सोने का आयात 
                   (किलो में)
2013-14     6,61,713
2014-15    9,15,458
2015-16    9,68,063
2016-17    7,80,152
2017-18    9,55,333
2018-19    9,82,711
2019-20    5,33,376
(अप्रैल-नवंबर) स्रोत: सी.एम.आई.

पीली धातु में दिलचस्पी क्यों?
भारत में जरूरत से अधिक सोना आयात ही होता है। देश की खानों से बहुत ही कम सोना निकलता है। वहीं ज्वैलरी और सुरक्षित निवेश होने के कारण आम से खास लोगों के बीच सोने के प्रति आकर्षण नैसॢगक रहा है। इसी का परिणाम है कि वित्त वर्ष 2019 में सोने की कीमत में करीब 25 प्रतिशत का उछाल आने के बावजूद वित्त वर्ष 2014 के बाद सबसे अधिक सोने का आयात हुआ। पिछले वित्त वर्ष में 9,83,000 किलो सोने का आयात किया गया। जाने-माने लेखक रिचर्ड डेविस अपनी किताब एक्सट्रीम इकोनॉमीज में लिखते हैं कि गोल्ड एक तरह का अनौपचारिक बीमा है, इसलिए इसके प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है।

केन्द्रीय बैंक ने बढ़ाई खरीदारी
आम निवेशकों के साथ दुनिया के कई सैंट्रल बैंक भी सोने की अपनी खरीद को लगातार बढ़ा रहे हैं। आधुनिक मुद्रा व्यवस्था में भी सैंट्रल बैंक अपने रिजर्व का एक हिस्सा सोने के रूप में रखते रहे हैं। जानकार मानते हैं कि वैश्विक अस्थिरता के कारण केन्द्रीय बैंकों की सोने में दिलचस्पी बढ़ी है। इसके साथ ही अमरीकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक सोने की खरीदारी कर रहे हैं।

वाणिज्य मंत्रालय ने शुल्क कटौती का दिया प्रस्ताव
वाणिज्य मंत्रालय ने बजट में सोने पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय का इसके पीछे का मकसद जैम्स और ज्वैलरी कारोबार के निर्यात को बढ़ावा देना है। पिछले बजट में सरकार ने पीली धातु पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। इससे सोने का कारोबार प्रभावित हुआ है। रत्न और आभूषण उद्योग ने सोने के आयात पर 4 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग की है।
 

vasudha

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