स्टील, एल्युमीनियम पर अमेरिका में ऊंचे शुल्क से चिंतित है भारतीय निर्यातक: फियो
punjabkesari.in Saturday, May 31, 2025 - 05:29 PM (IST)

नई दिल्लीः फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने अमेरिकी में स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की हाल की घोषणा पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से भारतीय स्टील निर्यात की सुरक्षा के लिए अमेरिका के साथ कूटनीतिक प्रयास करने का आग्रह किया है।
निर्यातकों का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ऐसी कारर्वाई से भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, विशेष रूप से मूल्यवर्धित और तैयार स्टील उत्पादों और वाहनों के कल पुर्जों का निर्यात प्रभावित होगा भारत के निर्यातकों के शीर्ष मंच फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि अमेरिकी स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि का विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील पाइप, स्ट्रक्चरल स्टील कंपोनेंट और ऑटोमोटिव स्टील पाट्र्स जैसी अर्ध-तैयार और तैयार इस्पात उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा। ये उत्पाद भारत के बढ़ते इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा हैं, और उच्च शुल्क अमेरिकी बाजार में हमारी मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकते हैं।
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को लगभग 6.2 अरब डॉलर मूल्य के स्टील और तैयार स्टील उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें इंजीनियडर् और फैब्रिकेटेड स्टील घटकों की एक विस्तृत श्रृंखला और लगभग 86 करोड़ डॉलर के एल्युमीनियम और उसके उत्पाद शामिल हैं। भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए अमेरिका शीर्ष गंतव्यों में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के माध्यम से धीरे-धीरे बाजार हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। फियो के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि हालांकि हम समझते हैं कि यह निर्णय अमेरिका में घरेलू नीतिगत विचारों से उपजा है, लेकिन आयात शुल्क में इस तरह की बड़ी वृद्धि करने का अमेरिका का फैसला वैश्विक व्यापार और विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं को हतोत्साहित करने वाला संकेत है।
रल्हन ने कहा, ‘‘हम सरकार से द्विपक्षीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाने का आग्रह करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय निर्यातकों को शिपमेंट के मामले में अनुचित रूप से नुकसान न हो, क्योंकि 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क एक बड़ा बोझ होगा, जिसे निर्यातक और आयातकर्ता द्वारा वहन करना मुश्किल है। फियो प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय निर्यातकों को अपने बाजारों में विविधता लाने और ऐसे संरक्षणवादी उपायों के प्रभाव को कम करने के लिए उच्च श्रेणी के मूल्यवर्धित उत्पादों में निवेश करने की आवश्यकता है।