Indian economy पर Morgan Stanley की रिपोर्ट, 2028 तक भारत बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

punjabkesari.in Saturday, Mar 15, 2025 - 11:03 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इसकी प्रमुख वजह भारत का एक उभरते उपभोक्ता बाजार के रूप में विकास और वैश्विक उत्पादन में इसकी बढ़ती हिस्सेदारी है। स्थिर आर्थिक नीतियां और बुनियादी ढांचे में सुधार भी इस वृद्धि को समर्थन दे रहे हैं।

रिपोर्ट में भारत की आर्थिक प्रगति के तीन संभावित परिदृश्यः बेयर, बेस और बुल- उल्लेखित किए गए हैं। इसमें मौजूदा आर्थिक स्थिति, महंगाई, व्यापार, मौद्रिक और राजकोषीय नीति के साथ संभावित जोखिमों पर भी चर्चा की गई है।

मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2023 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर थी, जो 2026 तक 4.7 ट्रिलियन डॉलर और 2028 तक 5.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इससे भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

1990 में भारत 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, जो 2000 में 13वें और 2020 में 9वें स्थान पर आ गया। 2023 में यह 5वें स्थान पर पहुंच चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 तक वैश्विक जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 3.5% से बढ़कर 4.5% हो सकती है।

भारत के आर्थिक विकास के तीन संभावित परिदृश्य

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अगले दशक में तेजी से बढ़ेगी। रिपोर्ट में तीन संभावित विकास परिदृश्य पेश किए गए हैं:

बेयर परिदृश्य

  • 2025 में भारत की जीडीपी 3.65 ट्रिलियन डॉलर होगी।
  • 2035 तक यह 6.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
  • प्रति व्यक्ति जीडीपी 4,247 डॉलर होने का अनुमान।

बेस परिदृश्य

  • 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 8.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
  • प्रति व्यक्ति जीडीपी 5,683 डॉलर होने की उम्मीद।

बुल परिदृश्य

  • सबसे आशावादी अनुमान के तहत, 2035 तक भारत की जीडीपी 10.3 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकती है।
  • प्रति व्यक्ति जीडीपी 6,706 डॉलर तक पहुंच सकती है।

 

अगले वित्त वर्ष में 6.5% की ग्रोथ का अनुमान

 

  • चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 6.3% रहने का अनुमान है।
  • अगले वित्त वर्ष में यह बढ़कर 6.5% हो सकती है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का सबसे लोकप्रिय उपभोक्ता बाजार बनने की ओर अग्रसर है।

घरेलू मांग और महंगाई पर प्रभाव

  • आयकर में कटौती से शहरी मांग को बढ़ावा मिलेगा।
  •  ग्रामीण उपभोग में तेजी आने की संभावना है।
  • निवेश वृद्धि: सार्वजनिक और घरेलू पूंजीगत व्यय से विकास को मजबूती मिलेगी।
  • निजी कॉर्पोरेट निवेश धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रहा है।
  • सेवा निर्यात में मजबूती श्रम बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है।
  • खुदरा महंगाई (CPI) घटकर 4% तक आ गई है, जिससे क्रय शक्ति में सुधार होगा।

भारत के आर्थिक विकास को मिलेगी मजबूती

भारत की अर्थव्यवस्था की यह गति मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के समर्थन से और मजबूत होगी। नीति निर्माताओं को लचीलापन मिलेगा और भारत की घरेलू मांग वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख चालक बनने की ओर अग्रसर है।
 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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