बैड लोन के मामले में दुनिया की 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत टॉप पर

Monday, Jan 20, 2020 - 11:41 AM (IST)

बिजनेस डेस्क: भारतीय अर्थव्यवस्था में लंबे समय से सुस्ती बरकरार है। भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में नॉन-परफॉॄमग एसेट (एन.पी.ए.) यानी बैड लोन एक बड़ी समस्या है। बैंकों का करोड़ों रुपए बैड लोन में फंसा पड़ा है। बैंकिंग सैक्टर पर इसका प्रभाव पड़ रहा है और बैंकों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो रहा है। एन.पी.ए. में बढ़ौतरी की वजह से बैंक लोन देने में और भी सावधानी बरत रहे हैं। 

 

बैड लोन के मामले में विश्व की 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत टॉप पर है। दूसरे स्थान पर इटली है। दिसम्बर 2018 तक इटली का बैड लोन अनुपात 8.5 फीसदी था। मार्च 2019 तक 3.1 फीसदी के अनुपात के साथ ब्राजील बैड लोन की सूची में तीसरे स्थान पर था। वहीं दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में बैड लोन के मामले में कनाडा को सबसे साफ-सुथरा देश माना जाता है। कनाडा में बैड लोन का अनुपात माहज 0.4 फीसदी है।

 

चीन से काफी पिछड़ा है भारत
आंकड़ों के अनुसार चीन में मार्च 2019 तक बैड लोन अनुपात 1.8 फीसदी था जबकि भारत में यह अनुपात 9.3 फीसदी रहा है। भारत का करीब 11.46 लाख करोड़ रुपए बैड लोन में फंसा हुआ है। वहीं चीन का इससे 3 गुना कम यानी करीब 3.79 लाख करोड़ रुपया ही बैड लोन में फंसा हुआ है। अत: पड़ोसी देश चीन से भारत बैड लोन अनुपात के मुकाबले में कहीं ज्यादा पिछड़ा हुआ है।

 

आर.बी.आई. ने किया था आगाह
हाल ही में बैंकों के एन.पी.ए. को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने भी आगाह किया था। आर.बी.आई. ने कहा कि सितम्बर 2020 तक बैंकों का सकल एन.पी.ए. अनुपात बढ़कर 9.9 फीसदी हो सकता है, जो सितम्बर 2019 में 9.3 फीसदी के स्तर पर था। आर.बी.आई. ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफ.एस.आर.) में यह बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक, सितम्बर 2020 तक सरकारी बैंकों का सकल एन.पी.ए. बढ़कर 13.2 फीसदी हो सकता है, जो सितम्बर 2019 में 12.7 फीसदी था। वहीं इसी अवधि के दौरान निजी बैंकों का सकल एन.पी.ए. 3.9 फीसदी से बढ़कर 4.2 फीसदी तक पहुंच सकता है। विदेशी बैंकों का सकल एन.पी.ए. 2.9 फीसदी से बढ़कर 3.1 फीसदी हो सकता है। 

vasudha

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