इस वित्त वर्ष ₹5.4 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है भारत का सब्सिडी बिल

Wednesday, Nov 16, 2022 - 04:46 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार गरीबों और किसानों को समर्थन देने के लिए हर साल सब्सिडी पर जितना खर्च करती है, उसमें इस साल करीब एक तिहाई से अधिक की उछाल आ सकती है। इसके चलते सरकार को दूसरे क्षेत्रों में होने वाले खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। साथ ही उसे अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए और स्मॉल सेविंग्स फंड्स से पैसे भी लेने पड़ सकते हैं। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

अनुमान से 2 लाख करोड़ अधिक रह सकता है सब्सिडी बिल

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार का इस वित्त वर्ष में फूड, फर्टिलाइजर और फ्यूल पर सब्सिडी का खर्च बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपए (करीब 67 अरब डॉलर) पहुंच सकता है। जबकि सरकार ने बजट पेश करते हुए इसके लिए सिर्फ 3.2 लाख करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हालांकि कोरोना महामारी से लेकर यूक्रेन युद्ध के चलते कमोडिटी की कीमतों में आई उछाल के कारण वह इस समय अपने सब्सिडी बिल में तेज उछाल से जूझ रहा है।

सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी का लगातार तीसरा सालयह लगातार तीसरा वित्त वर्ष होगा, जब भारत का सब्सिडी बिल उसके बजट अनुमान से अधिक रहने वाला है। बता दें कि भारत सरकार के कुल खर्च का करीब 10% सब्सिडी पर खर्च होता है।

टैक्स कलेक्शन इस साल बेहतर रहने की उम्मीद

रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि सरकार ने अपने वित्तीय घाटे को जीडीपी के 6.4 फीसदी से कम रखने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में सरकार अपने खर्च की प्राथमिकताओं में बदलाव करेगी और स्मॉल सेविंग्स फंड से अधिक उधार लेगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस वित्त वर्ष में टैक्स कलेक्शन अनुमानित लक्ष्य से अधिक रहने वाला है लेकिन यह अतिरिक्त खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

आगामी बजट की तैयारी में जुटा वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस खबर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। इस बीच मोदी सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए बजट बनाने के कार्य में जुट गई है, जिसे फरवरी में पेश किया जाना है। आगामी बजट ऐसे समय में पेश किया जाएगा, जब दुनिया में मंदी आने की आशंका तेज हो गई है, घरेलू ग्रोथ धीमी हुई है और महंगाई ऊंचे स्तर पर है, जिसके चलते कर्ज की लागत बढ़ गई है।

jyoti choudhary

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