भारत की वृद्धि दर 2018-19 में 7.7% पहुंचने की उम्मीद : IMF

Tuesday, May 09, 2017 - 02:00 PM (IST)

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने बाजार की दक्षता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक संरचनात्मक अवरोधकों को हटाने की सिफारिश करते कहा कि विमुद्रीकरण से उत्पन्न बाधाओं के बाद अब भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में 7.2 प्रतिशत, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में 7.7 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को भारत के आर्थिक परिदृश्य के संबंध में कहा कि नोट बदलने की पहल के साथ नकदी की कमी के कारण पैदा हुआ अस्थायी अवरोध (प्रमुख तौर पर निजी उपभोग के लिये) 2017 में धीरे-धीरे समाप्त हो जाने की उम्मीद है।
 

मुद्रा कोष ने भारत के आर्थिक परिदृश्य संबंधी रपट में कहा कि हालांकि अनुकूल मॉनसून से इस प्रकार के अवरोधों से निकलने और आपूर्ति संबंधी बाधाओं को हल करने की दिशा में निरंतर प्रगति होने की उम्मीद है, इसके साथ ही हालांकि निवेश क्षेत्र में मामूली सुधार रहने की उम्मीद है, जबकि कर्ज अदायगी और संपत्तियों की बिक्री तथा औद्योगिक क्षमता के उपयोग में बढ़ोतरी जारी रहेगी। आई.एम.एफ. ने कहा कि भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में 7.2 प्रतिशत और उसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 में 7.7 प्रतिशत रहेगी। भारत के बैंकों और कॉरपोरेट जगत की बैलेंस शीट के नीचे से उपर जाने के क्रम से भी निकट अवधि में ऋण वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होगा। राजकोषीय एकीकरण और महंगाई-रोधी मौद्रिक नीति समेत विश्वास और नीतिगत विश्वसनीयता बढ़ने से वृहद आर्थिक स्थिरता जारी रहेगी।  

कृषि उत्पादकता को बेहतर करना एक चुनौती 
आई.एम.एफ. की रिर्पोंट के अनुसार वर्ष 2017 में एशिया की आर्थिक वृद्धि 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2016 में 5.3 प्रतिशत थी। अक्तूबर 2016 के विश्व आर्थिक परिदृश्य की तुलना में 2017 में चीन और जापान में भी वृद्धि होगी। नोटबंदी के अस्थायी प्रभावों से भारत की वृद्धि में गिरावट आएगी, साथ ही दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अनिश्चिता के चलते ऐसा होगा।  रिर्पोट के अनुसार भारत में कृषि उत्पादकता को बेहतर करना एक चुनौती बनी रहेगी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा श्रम लगता है और यह भारत की लगभग आधी आबादी का रोजगार भी है। 

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