भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में 7.5 फीसदी रहने का अनुमानः IMF

punjabkesari.in Thursday, Aug 09, 2018 - 04:37 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः निवेश में बढ़ोतरी और मजबूत निजी खपत की बदौलत भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 बढ़कर 7.5 फीसदी होने का अनुमान है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह बात कही। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अल्प अवधि में वृहद अंतर्राष्ट्रीय नीतियां और संरचनात्मक सुधार व्यापक रूप से भारत के पक्ष में है।

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आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 7.3 फीसदी रहने का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश में बढ़ोतरी तथा मजबूत निजी खपत के आधार भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 7.3 फीसदी तथा 2019-20 में 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है। साथ ही वित्त वर्ष 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के बढ़कर 5.2 फीसदी होने का अनुमान जताया गया है। रुपए की विनिमय दर में गिरावट, कच्चे तेल की उच्च कीमतों, आवासीय किराया भत्ता (एचआरए) और कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ मांग स्थितियों में कमी आने से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका जताई गई है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, आयात में वृद्धि और विदेश से भेजे जाने वाले धन में कमी से चालू खाता घाटा भी बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.6 फीसदी होने का अनुमान है।

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IMF ने की तारीफ
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोहरी बैलेंस शीट की समस्या को दूर करने के साथ-साथ बैंकों की ऋण देने की क्षमता में जान फूंकने और ऋण प्रावधान की दक्षता बढ़ाने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुधार किए गए हैं। आईएमएफ ने कहा कि स्थायित्व आधारित वृहद आर्थिक नीतियां और संरचनात्मक सुधारों में जारी प्रगति देश के लिए फलदायी होगी। इसमें कहा गया है कि जीएसटी और नोटबंदी से जुड़ी दिक्कतों के कारण 2017-18 में वृद्धि दर गिरकर 6.7 फीसदी पर आ गई थी लेकिन निवेश में तेजी से इसमें सुधार आया। वित्त वर्ष 2017-18 में मुद्रास्फीति औसतन 3.6 फीसदी रही। यह 17 साल का निम्न स्तर है।

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GST को बनाना होगा और सरल
मुद्रा कोष ने अपनी सिफारिश में कहा कि सार्वजनिक ऋण स्तर को कम के लिए राजकोषीय मजबूती की आवश्यकता है। जीएसटी को सरल और सुव्यवस्थित करना इसमें मददगार हो सकता है। आईएमएफ ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की पहचान करने और सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मांग में सुधार और कच्चे तेल में तेजी से मध्यम-अवधि मुद्रास्फीति मई 2018 में बढ़कर 4.9 फीसदी हो गई। यह भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के 4 फीसदी दायरे में रखने के लक्ष्य से अधिक है।      
 


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