गलत हैं आर्थिक वृद्धि दर पर नैशनल अकाउंट्स के आंकड़े: एक्सपर्ट

Saturday, Jun 03, 2017 - 07:19 PM (IST)

वाशिंगटनः भारतीय मूल के एक जाने माने अर्थशास्त्री ने दावा किया है कि भारत 7 फीसदी सलाना की दर से वृद्धि नहीं कर रहा है जैसा कि सरकार ने दावा किया है। अर्थशास्त्री के मुताबिक कई अहम् क्षेत्रों में कोई वृद्धि नहीं हुई है।  

मेर्टन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड के एमरिट्स फेलो और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के रीडर एमरिट्स ने कहा, ‘‘उनका (भारत का राष्ट्रीय खाता) दर्शाता है कि भारत 7 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहा है लेकिन कई अन्य अर्थशास्त्रियों के साथ मैं भी इस राष्ट्रीय लेखे-जोखे पर विश्वास नहीं करता हूं। उसमें 2011 में तब्दीली की गई थी।’’  

‘इंडियाज लोंग रोड-- द सर्च ऑफ प्रोस्पेरिटी’ के लेखक जोशी ने आरोप लगाया कि भारत की वृद्धि दर 5.5 फीसदी पर लौट आई है लेकिन उसके राष्ट्रीय खाते इसकी कहीं ज्यादा सुहावनी तस्वीर पेश की गई है। कार्नेजी इंडोमेंट फोर इंटरनैशनल पीस द्वारा आयोजित परिचर्चा के दौरान शीर्ष अमरीकी थिंक टैंक और लंदन में रहने वाले अर्थशास्त्री ने अपनी बात साबित करने के लिए कई कारण दिए।  

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक बात कहूंगा, (भारत का राष्ट्रीय खाता) एक मात्र एेसी जगह है जहां आप 7 फीसदी वृद्धि देख सकते हैं। आपको यह कहीं और नजर नहीं आ सकती है। यदि आप निर्यात और आयात देखते हैं तो वे बिल्कुल सपाट हैं। ये कम हुए हैं या बराबर रहे अथवा बहुत धीमी वृद्धि हुई। यदि आप संगठित क्षेत्र में रोजगार पर नजर डाले तो वहां ठहराव है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप औद्योगिक उत्पादन पर नजर डालें तो यह बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ रहा है। यदि आप बैंक क्रेडिट पर नजर दौड़ाते हैं तो यह बहुत धीमी वृद्धि कर रहा है। हाल के वर्षों में उद्योगों में बैंक क्रेडिट बहुत सुस्त रफ्तार से बढ़ा है।’’ 

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