किराएदार होने का सबूत मांग सकता है आयकर विभाग

Wednesday, Apr 05, 2017 - 01:54 PM (IST)

मुंबईः टैक्स का बोझ घटाने के लिए फर्जी 'हाऊस रेंट' प्रयोग करने वालों पर सरकार सख्त होने जा रही है। ऐसे लोग जो गलत दस्तावेज लगाकर टैक्स बचा लेते हैं उन पर नजर रखने के लिए आयकर विभाग करदाता से संबंधित प्रॉपर्टी के वैध किराएदार का सबूत मांग सकता है।

आयकर अधिकारी कर सकते हैं जांच
इनकम टैक्स अपेलेट ट्रिब्यूनल ने फैसला दिया कि आय की जांच कर रहे अधिकारी गहन जांच कर सकते हैं। वह आपसे इस बात के सबूत मांग सकते हैं कि जहां के किराए की रसीद आपने दी है, आप वहीं रहते हैं। अगर अधिकारी को लगता है कि जमा की गई रसीद नकली हैं तो वह लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट, हाऊसिंग सोसायटी को लिखे गए लेटर, बिजली या पानी के बिल आदि चीजें मांग सकता है।

देना होता है पैन
अभी टैक्स से राहत के लिए केवल किराए की रसीद जमा करनी होती है। अगर किराया एक लाख सालाना से अधिक हो तो मकान मालिक का पैन देना होता है। नए फैसले के बाद अब यह बल सकता है और अब किराया देने की बात साबित करने का जिम्मा जमा करने वाले पर होगा।

नौकरीपेशा लोगों को आयकर अधिनियम के सेक्शन 10(13ए) के तहत मकान किराए पर छूट मिलती है। इस नियम के तहत कर्मचारी मिले किराया भत्ते (एचआरए) या बेसिक सैलरी के 50 (मेट्रो सिटी) फीसदी या 40 फीसदी (अन्य शहर) या फिर दिए गए किराए में बेसिक सैलरी का 10 फीसदी कम, इनमें जो भी सबसे कम हो, तक की छूट पा सकते हैं।
 

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