ऑनलाइन शॉपिंग में देना होगा आधार नंबर, मंगवा सकेंगे सिर्फ 5000 रुपए का 'सामान'

Friday, Jan 04, 2019 - 02:13 PM (IST)

नई दिल्लीः ऑनलाइन सामान मंगवाने के लिए जल्द ही आधार नंबर अनिवार्य होगा और हर आधार नंबर पर सिर्फ 5000 रुपए के इंपोर्टेड गिफ्ट मंगवाए जा सकेंगे। दरअसल केंद्र सरकार विदेश से आने वाले सामान को जांच के दायरे में लाने की तैयारी में है। खासतौर से चीन से आने वाले कंसाइनमेंट्स सरकार की नजर में हैं। चीनी ई-कॉमर्स कंपनियां कस्टम ड्यूटी और कई तरह के टैक्स से बचने के लिए अपने सामान को गिफ्ट के तौर पर भारत में भेज रही थीं। ऐसे में सरकार योजना बना रही है कि एक आधार कार्ड पर ई-काॅमर्स प्लेटफॉर्म और एप्लीकेशंस से सिर्फ पांच हजार रुपए तक के 'इंपोर्टेड गिफ्ट' मंगाए जा सकेंगे। 

वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस 5000 रुपए तक के इंपोर्टेड गिफ्ट्स मंगाने के लिए आधार कार्ड अकेला विकल्प नहीं है। ग्राहक किसी भी तरीके से KYC पूरा करके विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों से इंपोर्टेड गिफ्ट्स मंगवा सकेंगे। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (DIPP) ने रिवेन्यु विभाग से मांग की थी कि वह गिफ्ट के तौर पर आने वाले कंसाइनमेंट की स्रोत लोकेशन का पता लगाएं, जिससे किसी तरह की संदेहास्पद गतिविधि को पहले ही राेका जा सके। 

ये था चीनी कंपनियाें का पैंतरा
चीनी कंपनियां अपना माल बेहद सस्ते दामों पर भारत में बेचती थीं क्योंकि वे अपना माल गिफ्ट के तौर पर भेजती थीं। ऐसे में उन्हें कस्टम ड्यूटी नहीं देनी पड़ती थी। इस वजह से भारतीय रिटेलर्स का सामान लोग कम खरीद कर रहे थे और चीनी कंपनियां मुनाफा काट रही थीं। इन साइट्स पर मिलने वाला सामान न सिर्फ भारतीय ई-कॉमर्स साइट्स से 50-60 फीसदी सस्ता है, बल्कि सरोजिनी नगर जैसे बाजारों की तुलना में भी काफी सस्ता रहता है।

इन कंपनियों का नाम आया सामने
Shein, AliExpress, Romwe और Club Factory जैसी चीन की कई ई-कॉमर्स कंपनियां देश के फॉरेन ट्रेड (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, का गलत फायदा उठा रही हैं। इस कानून के तहत विदेश से भारत में रहने वाले लाेगों के पास भेजे जाने वाले 5,000 रुपए की कीमत तक के तोहफों पर कस्टम व अन्य चार्ज नहीं लगता है। इतना ही नहीं इन आइटम्स पर कोई GST भी नहीं लगती है। कुछ दिन पहले खुलासा हुआ था कि इन साइ‌ट्स को रोजाना तकरीबन दो लाख ऑर्डर मिलते हैं, जिन्हें तोहफों के तौर पर भारत में डिलीवर किया जाता है। यह ई- कॉमर्स कंपनियां भारत में व्यापार इकाइयों की श्रेणी में रजिस्टर्ड नहीं हैं। इसलिए कोई शिकायत दर्ज कराने, सामान को रिटर्न करने की प्रक्रिया काफी जटिल है। ऐसे में स्वदेशी जागरण मंच को आशंका है कि ये कंपनियां भारत में खतरनाक, प्रतिबंधित, असुरक्षित और दोयम दर्जे का माल पहुंचा रही हैं।

jyoti choudhary

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