मध्य प्रदेश में टमाटर की बड़ी खेप पशुओं को खिलाने को मजबूर किसान

Monday, Nov 07, 2016 - 05:26 PM (IST)

नई दिल्ली: टमाटर की नई फसल आने के बाद थोक बाजार में इसके भाव तेजी से घटने से मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के टमाटर की खेती करने वाले किसानों करीब 6,000 किसानों की चिंता बढ गई है। किसानों के अनुसार स्थानीय मंडियों में टमाटर के भाव गिर कर दो-तीन रपए किलो पर आ गए हैं। उठाव कम होने से किसानों को अच्छी गुणवत्ता के टमाटर छांट कर बाकी बचा बड़े हिस्से का माल पशुओं को खिलाकर खपाना पड़ रहा है।

टमाटर उत्पादकों को फिलहाल बाजार में न तो इसका उचित मूल्य मिल पा रहा है, न ही उनके पास इसे अधिक दिन तक तक सुरक्षित रखने के लिये शीतगृह की सुविधा का विकल्प उपलब्ध है। झाबुआ जिलेे का पेटलावद क्षेत्र प्रदेश के प्रमुख टमाटर उत्पादक इलाकों में गिना जाता है। इस क्षेत्र के रायपुरिया गांव के किसान योगेश सेप्टा ने आज कहा, ‘नई फसल आने के बाद टमाटर के थोक भाव घटकर औसतन दो से तीन रपए किलोग्राम रह गए हैं। इस कीमत में टमाटर बेचने पर खेती की उत्पादन लागत, फसल तुड़वाने, छंटवाने और इसे पैक कराकर मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी निकल नहीं पा रहा है।’ उन्होंने कहा,‘हमारा उगाया टमाटर मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कारोबारी खरीदते हैं। हमसे प्रीमियम गुणवत्ता का टमाटर तो खरीद लिया जाता है। लेकिन छंटनी के बाद कुल उत्पादन का करीब 50 फीसदी टमाटर बचा रह जाता है जिसे हमें मजबूरन पशुओं को खिलाना पड़ता है या इसे घूरे में डालकर खाद बनाने में इस्तेमाल करना पड़ता है।’

सेप्टा ने मांग की कि सरकार को टमाटर उत्पादक किसानों के लिए नए बाजारों का इंतजाम करना चाहिए, तांकि उन्हें अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर न होना पड़े। इसके साथ ही, क्षेत्र में भंडारण और प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) की पर्याप्त सुविधाओं का इंतजाम किया जाना चाहिए।

उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक विजय सिंह ने माना कि झाबुआ जिले में टमाटर और अन्य सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिए फिलहाल एक भी शीतगृह नहीं है।उन्होंने कहा कि जिले में शीतगृह खुलवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

सिंह ने बताया कि उद्यानिकी विभाग झाबुआ जिले में टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती को व्यवस्थित करने के लिए किसानों के समूह बनाकर विशेष क्लस्टर विकसित कर रहा है। इसके साथ ही, सब्जी उत्पादक किसानों को उनकी उपज का सही मोल दिलाने के लिए बाजार सूचना केंद्र की स्थापना की जा रही है। उन्होंने मोटे अनुमान के हवाले से बताया कि झाबुआ जिले में करीब 6,000 किसान 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती कर रहे हैं।   

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