2022 में उत्पादन बढ़ाने, कच्चे माल की उपलब्धता तय करने पर होगा इस्पात क्षेत्र का फोकस

Tuesday, Dec 28, 2021 - 02:21 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार नए साल 2022 में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत बढ़ाने, विशेष इस्पात के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर खासतौर से ध्यान देगी। इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि नए बाजारों को खोजने पर भी ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि देश में इस्पात का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुसार सरकार ने 2030 तक देश में कच्चे इस्पात के उत्पादन को 30 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस नीति के तहत 2030 तक घरेलू प्रति व्यक्ति इस्पात खपत को 160 किलो तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। 

कुलस्ते ने बताया कि देश में इस समय प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत लगभग 72.3 किलोग्राम है, जबकि क्षमता 14.39 करोड़ टन प्रति वर्ष है। उन्होंने कहा कि विशेष इस्पात का उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा। मंत्री के अनुसार भारतीय इस्पात क्षेत्र अवसरों से भरा है, और देश को गुणवत्ता वाले इस्पात उत्पादन में शीर्ष स्थान हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए। मंत्रालय पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और निजी कंपनियों को विशेष इस्पात के आयात में कटौती के उपाय करने का निर्देश दे चुका है।

उद्योग निकाय भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) ने कहा कि भारत में तैयार इस्पात की मांग लगभग 16.7 प्रतिशत बढ़कर 2021 के अंत तक 10.4 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है और अगले साल के अंत तक यह आंकड़ा 11.1 करोड़ टन होगा। आईएसए के महासचिव आलोक सहाय ने कहा कि जनवरी-नवंबर 2021 के दौरान कच्चे इस्पात का उत्पादन 10.49 करोड़ टन था। उन्होंने कहा 2022 के अंत तक 12.4-12.5 करोड़ टन कच्चे इस्पात के उत्पादन की उम्मीद करते हैं। 

सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते 2021 कंपनी और पूरे उद्योग के लिए एक चुनौतीपूर्ण साल था। सेल ने हालांकि कहा कि 2022 में उसका लक्ष्य कंपनी की उधारी को कम करना होगा, जो 30 सितंबर तक 22,478 करोड़ रुपये थी, और इस साल मार्च के अंत में यह 35,350 करोड़ रुपए थी। टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टी वी नरेंद्रन ने कहा कि कंपनी 2022 के बारे में आशावादी हैं और मौजूदा तेजी लंबे समय तक बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे पर सरकार के जोर, विनिवेश सहित मौजूदा सुधार उपायों और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहल से आगे गति मिलेगी।
 

jyoti choudhary

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