जानिए, नोट बैन से रियल एस्टेट के सैक्टर्स पर क्या होगा असर

Saturday, Nov 26, 2016 - 12:44 PM (IST)

नई दिल्लीः नोट बैन का सबसे अधिक असर रियल एस्टेट सैक्टर पर पड़ेगा, लेकिन कुछ सेगमेंट ऐसे हैं, जिन पर नोट बंदी का कुछ खास असर नहीं पड़ेगा। एक्सपर्ट्स की मानें तो नोट बंदी का सबसे अधिक असर घरों और जमीन की कीमतों पर पड़ेगा और एक साल के दौरान 20-30% गिरावट आ सकती है, लेकिन इसके मुकाबले कॉमर्शियल और रिटेल रियल एस्टेट पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

सबसे पहली बात इस बैन के बाद लोग बैंकों में पैसे जमा करा रहे हैं जिससे कैश फ्लो बढ़ेगा और कर्ज भी सस्ता होगा जिसका सीधा असर महंगाई दर में कमी के रूप में देखा जाएगा। घर खरीदने का इंतज़ार कर रहे लोगों के लिए यह सबसे बढ़िया मौका साबित होगा।

कॉमर्शियल सैक्टर 
प्रॉपर्टी कंसलटेंसी फर्म जे.एल.एल. इंडिया के चेयरमैन एवं कंट्री हेड अनुज पुरी बताते हैं कि डिमोनिटाइजेशन का कॉमर्शियल रियल एस्टेट पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ऑफिस, इंडस्ट्रियल लीजिंग और ट्रांजैक्शन्स बिजनेस में कैश कॉम्पोनेंट काफी कम होता है।

रिटेल सैक्टर 
कैश ट्रांजैक्शन कम होने से रिटेल रियल एस्टेट पर कुछ असर दिखेगा, लेकिन यह शॉर्ट टर्म होगा। इस सैक्टर में लग्जरी सेगमेंट पर ज्यादा असर होगा, क्योंकि इस सेगमेंट में ब्लैकमनी की अच्छी खासी खपत होती रही है। बावजूद इसके, क्रेडिट-डेबिट कार्ड और ई-वैलेट का इस्तेमाल बढ़ने से मंदी का असर काफी कम हो जाएगा। साथ ही, धीरे-धीरे डोमेस्टिक कन्जम्पशन बढ़ने के बाद रिटेल रियल एस्टेट सैक्टर में जल्द ही सुधार हो जाएगा।

ऑर्गनाइज्ड सैक्टर 
एक्सपर्ट्स का मानना है कि रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के पूरी तरह लागू होने के बाद मार्कीट पर ऑर्गनाइज्ड सैक्टर का कब्जा बढ़ जाएगा, रही-सही कसर डिमोनिटाइजेशन ने पूरी कर दी है। पुरी भी मानते हैं कि सॉलिड ब्रांड और गवर्नेंस फ्रेमवर्क वाले बड़े प्लेयर्स पर डिमोनिटाइजेशन का असर नहीं दिखेगा, क्योंकि इन डेवलपर्स के प्रोजेक्ट पर इन्वेस्टमेंट करने वालों में सैलरिड क्लास के लोग हैं, जो लिमिटेड कैश ट्रांजैक्शन करते हैं। साथ ही, बड़े डेवलपर्स के प्रोजेक्ट्स पर इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स का पैसा ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें दिक्कत नहीं आने वाली।

होटल सैक्टर 
पुरी का कहना है कि होटल्स एवं हास्पिटैलिटी रिलेटेड रियल एस्टेट सेगमेंट पर भी डिमोनिटाइजेशन का असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह है कि यह सैक्टर पूरी तरह ऑर्गनाइज्ड है और यहां कैश ट्रांजैक्शन न के बराबर है।


 

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