GST की गर्मी से पिघलने लगा आइसक्रीम उद्योग

Tuesday, Sep 26, 2017 - 11:15 AM (IST)

लुधियाना: जी.एस.टी. प्रणाली में आइसक्रीम इंडस्ट्री को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब के दायरे में लाने का असर अब आइसक्रीम इंडस्ट्री पर प्रत्यक्ष रूप से दिखने लगा है और इसके परिणामस्वरूप करीब 400 करोड़ रुपए सलाना का राज्य भर में कारोबार करने वाली आइसक्रीम इंडस्ट्री का कारोबारी ग्राफ जी.एस.टी. के बाद मात्र 3 महीने में ही 30 से 35 प्रतिशत डाऊन हो गया है।

स्वस्थ संबंधी कारणों से पिछले कुछ वर्षों में देसी घी, फैट मिल्क की खपत में कमी दर्ज की गई है। अब लोग मिठाई की जगह बेकरी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने लगे हैं जिसका असर भी मिल्क इंडस्ट्री पर पड़ने लगा है। आइसक्रीम हर वर्ग के लोगों को पसंद है और सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहित कर पंजाब के मिल्क प्रोडक्ट्स का सही इस्तेमाल कर सकती है। आइसक्रीम उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि चीनी, पास्ता, नूडल, फटाफट फूड की तर्ज पर आइसक्रीम को भी 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है जबकि यह एक स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद है न कि जंक फूड।

दूध के बाद घी, पाऊडर मिल्क और आइसक्रीम की सेल दूसरे नंबर पर
भारत में पैकेट दूध की सालाना बिक्री करीब 66 हजार करोड़ रुपए की होती है। जबकि घी की सालाना बिक्री 10 हजार करोड़ की है और स्किम्ड मिल्क पाऊडर का करीब 9000 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है। लेकिन लोग यह नहीं जानते कि देश में वैजीटेबल फैट्स आधारित डैसर्ट को मिलाकर औसतन 100 रुपए प्रति लीटर के अनुपात में करीब 90 करोड़़ लीटर आइसक्रीम की बिक्री होती है और आइसक्रीम का सालाना 9000 करोड़ का मार्कीट शेयर है। इनमें से आइसक्रीम के कुल कारोबार में 1250 करोड़़ रुपए का सबसे बड़ा हिस्सा अमूल के खाते में है जबकि क्वालिटी वॉल्स और वाडी लाल की सेल को मिलाकर इन 3 बड़े प्लेयर्स की सालाना बिक्री 2500 करोड़़ का आंकड़ा पार कर जाती है जबकि पंजाब दूध प्रोडक्शन में प्रमुख स्टेट होने के बावजूद आर्गेनाइज्ड और ब्रांडिड आइसक्रीम के क्षेत्र में बेहद पिछड़ा हुआ है। इस क्षेत्र पर सरकार को फोकस करना इन्सैंटिव के जरिए प्रोत्साहित करना रैवेन्यू के साथ रोजगार की समस्या को दूर कर सकता है। आमतौर पर डेयरी उत्पादों को मक्खन और पनीर से जोड़कर आंका जाता है जबकि इन दोनों उत्पादों का कुल सालाना कारोबार 2500 करोड़़ से भी कम का है। जबकि आइसक्रीम इसके मुकाबले स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ 9000 करोड़़ रुपए सालाना का बड़ा कारोबार दर्ज कर रही है। 

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